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काव्य : पहुॅंच गए हम कफ़न बाॅंधकर --उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट,बरेली


 काव्य : 

पहुॅंच गए हम कफ़न बाॅंधकर

गीत  


पूछ रहे थे 

पहुॅंच गए हम 

धर्म बताने मौलाना। 

सत्तर हूरों 

से जन्नत की

तुम्हें मिलाने मौलाना ।।


रहा हिंद यह

बाप तुम्हारा 

स्वर विरोध में 

क्यों गाए हैं

बना दिए थे

जो आतंकी 

आज वही तो 

गम खाए हैं


पहुॅंच गए हम

हर जेहादी 

सोच मिटाने मौलाना।

सत्तर हूरों 

से जन्नत की 

तुम्हें मिलाने मौलाना।।


पहलगाम के 

सिंदूरों की

कीमत ले ली

घर में घुसकर

कट्टरपंथी 

बिलख रहे थे 

खुद जालों में

अपने फॅंसकर


पहुॅंच गए हम 

आतंकों के

ठौर -ठिकाने मौलाना।

सत्तर हूरों 

से जन्नत की 

तुम्हें मिलाने मौलाना।।


हिंदू मारो 

जन्नत पाओ

बात यही तो

सिखलाते हो 

काश्मीर में 

बुरी नियत से

तुम आतंकी

घुसवाते हो


पहुॅंच गए हम 

सभी तुम्हारे 

जुर्म गिनाने मौलाना ।

सत्तर हूरों 

से जन्नत की 

तुम्हें मिलाने मौलाना।।


सन् पैंसठ या

हो इकहत्तर 

भूल गए क्या

धूल चटाई

और कारगिल 

युद्ध हुआ तो

हुई तुम्हारी

खूब पिटाई


पहुॅंच गए हम 

नफरत वाले

किले ढहाने मौलाना ।

सत्तर हूरों 

से जन्नत की 

तुम्हें मिलाने मौलाना।।


नहीं हिंद की 

सेना के तुम 

सम्मुख कुछ पल

टिक पाओगे

पाकिस्तानी

भिखमंगे हो

भिखमंगे ही

मर जाओगे


पहुॅंच गए हम 

कफ़न बाॅंधकर 

सबक सिखाने मौलाना ।

सत्तर हूरों

से जन्नत की 

तुम्हें मिलाने मौलाना।।


उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

 'कुमुद -निवास', बरेली (उत्तर प्रदेश)

 मोबा.- 9837944187

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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