काव्य :
युद्ध
युद्ध इसलिए होता है कि बचा रहे अस्तित्व
युद्ध इसलिए बंद होता है कि बना रहे अस्तित्व
युद्ध अधिकांशतः जन, धन नाश करते हैं
युद्ध जरूरी हैं,क्योंकि ये विकास करते है
तराजू लो, तौल लिया करो तुम्हे जन से प्यार है
या महत्वाकांक्षा ही तुम्हारे मन में सवार है
आतंक,मन में सबके,भय के बीज बोता है
मनुष्य हैं हम भयभीत होते,तो युद्ध होता है
हर पक्ष शत्रु या मित्र हो सकता जीवन में
*ब्रज* जीवन गुजारता है मनुष्य इक उलझन में
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
Tags:
काव्य