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श्यामलम् के भाषा विमर्श में हुआ अद्वैत वेदांत पर अंग्रेजी में रचित पुस्तक का विमोचन


अद्वैत वेदांत मूलतः हमारा दार्शनिक और आध्यात्मिक पक्ष है - विधायक शैलेन्द्र जैन 

श्यामलम् के भाषा विमर्श में हुआ अद्वैत वेदांत पर अंग्रेजी में रचित पुस्तक का विमोचन

सागर। साहित्यिक संस्था श्यामलम् द्वारा अपने विशिष्ट आयोजन "भाषा विमर्श" में देश में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं पर कार्यक्रमों की श्रंखला में युवा लेखक डा.अंकुर भट्ट की अंग्रेजी में लिखित "अद्वैत वेदांत और प्राचीन भारतीय ज्ञान आधुनिक प्रबंधन" पुस्तक का विमोचन और चर्चा कांची सभागार सिविल लाइंस में की गई।इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सागर विधायक शैलेंद्र कुमार जैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि अद्वैत वेदांत मूलतः हमारा दार्शनिक और आध्यात्मिक पक्ष है जिसे अंकुर जी द्वारा बहुत ही सुंदर तरीके से एक परिपक्व लेखक की भांति लिखा है,उन्होंने कहा कि 40 वर्ष की उम्र में इतना अच्छा लेखन काफी कम देखने को मिलता है। यह भविष्य के पुच्छल तारे बनेंगे जो अपने ज्ञान के प्रकाश से सभी को प्रकाशवान करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने कला और संस्कृति के लिए एक अच्छा सभागार बनाने के लिए जगह का चयन कर लिया गया है, राजघाट तिराहे पर इस भव्य भवन का निर्माण किया जाएगा। इसकी ड्राइंग फाइनल करने के पूर्व आप सभी कलाप्रेमियों को जरूर दिखाई जाएगी।विशिष्ट अतिथि डॉ नीलिमा पिंपलापुरे ने कहा इस पुस्तक को मैंने केवल पढ़ा ही नहीं जिया भी है। 

अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ. अनिल तिवारी ने बताया कि वेदांत कैसे आत्म जागरूकता समभाव और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि देते हुए उच्च स्तरीय प्रबंधकीय कौशल प्रदान करता है। 

विद्वान वक्ताओं डॉ.सुखदेव वाजपेयी,डा.अभय सिंह और डॉ.अभिषेक सराफ ने समीक्षा करते हुए पुस्तक को एक आध्यात्मिक संदेश, ज्ञान की धारा और आत्मचिंतन की यात्रा के रूप में पठनीय पुस्तक बताया।

लेखकीय वक्तव्य में डॉ.अंकुर भट्ट ने कहा कि

आदि शंकराचार्य जी का अद्वैत वेदांत आत्मा और ब्रह्म की एकरूपता का ज्ञान करता है। वेदांत और प्राचीन भारतीय ज्ञान आत्मसात् करते हुए व्यवसाय प्रबंधन में नैतिकता सामंजस्य और तनाव प्रबंधन के मूल्यवान सूत्र प्रदान करता है। 

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी के चित्र के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। 

श्रीमती स्वतंत्र भट्ट ने सरस्वती वंदना का मधुर गायन किया। श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने कार्यक्रम परिचय व स्वागत भाषण दिया। तदुपरांत मंच द्वारा पुस्तक विमोचन के बाद पुस्तक लेखक डॉ.अंकुर भट्ट का श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र,संस्था सदस्यों और मंच द्वारा शाल,श्रीफल, पुष्पमाला और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का व्यवस्थित और प्रभावी संचालन कर रहे गर्ल्स डिग्री कॉलेज में अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉ. आशुतोष शर्मा ने अभिनंदन पत्र वाचन किया। श्यामलम् के कार्यकारिणी सदस्य रमाकांत शास्त्री ने आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर रमेश दुबे,डॉ.राजेश दुबे,हरिसिंह ठाकुर,शिवरतन यादव,अंबिका यादव,आर के तिवारी, डॉ अरविंद गोस्वामी, हरी शुक्ला,सुनीला सराफ,उषा बर्मन,डॉ.रानू सोनी,मुकेश तिवारी,श्रवण श्रीवास्तव,मनोज श्रीवास्तव, उमाशंकर रावत,डॉ आरआर पांडे,डॉ वेदप्रकाश दुबे,कुंदन पाराशर,मितेंद्रसिंह सेंगर, डॉ नलिन जैन, पीआर मलैया,विशाल खरे, अशोक तिवारी अलख, पीएन मिश्रा, आरसी चौकसे, दामोदर प्रजापति, सौरभ दुबे सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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