जीवन की सच्ची पूँजी
हमारे जीवन की सच्ची पूँजी का जब पूछा जाता है तो प्रायः प्रायः का यही जवाब होता है कि अर्थ ही हमारे जीवन की सच्ची पूँजी है । इस तन को सुसज्जित करने से भी बड़ा मन को सजाने का काम है क्योंकि इसके निश्चित मिलने वाले कुछ अकल्पित शानदार परिणाम है । वह हमारे जीवन के साथ रहने वाली हमारी पूँजी है । हमारे जीवन की सच्ची संपत्ति हमारा पद-प्रतिष्ठा नहीं है अथवा नोटों से भरा तिजोरी की कुँजी आदि - आदि नहीं है । यह हमारे तन की तन्दुरूस्ती एवं आदर्श चरित्र की पूँजी है ।किसी ने अंग्रेजी में क्या सटीक कहा है कि When Wealth Is Lost, Nothing Is Lost When Health Is Lost, Something Is Lost. When Character Is Lost Everything Is Lost. सत्य, ईमानदारी, मिलनसरिता,करुणा, कर्तव्यनिष्ठा आदि जैसे चारित्रिक गुण हैं जो हमको सही से लोगों के दिल से प्रतिष्ठा दिलाते हैं । इन आधारभूत गुणों से रहित पद-प्रतिष्ठा दीखने में चमक की प्रतिष्ठा लग सकती है पर उसमें लोगों की दिल से निष्ठा नहीं होती है। वह शक्ल से खूबसूरत लोग दिल से भी खूबसूरत हों ऐसा जरूरी नहीं है,
आत्मा की सुंदरता पाने के लिए तो व्यक्ति में गुणों का होना जरूरी है । वह दिखने में बुरा होते हुए भी अगर कोई गुणवान और प्रतिभावान हो तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है क्योंकि जीवन की लंबी दौड़ में साँझ की तरह ढलते रूप की नहीं बल्कि सूरज की तरह अँधेरे में उजालों को रोशन करने वाले गुणों की कद्र होती है ।हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं जो बाहरी खूबसूरती के पैमाने को परिस्थितियों के अनुसार बदलते रहतें हैं, अतः दुनिया में भीतर की खूबसूरती का एक ही पैमाना है और वह आत्मा से पवित्र और सुंदर होना है । अतःजीवन का असली धन लोगों के हृदय से निकला आदर है जो हमारे जीवन मूल्यों के कारण हमारा सम्मान जो हमारा सर ऊँचा रखते हैं।यही हमारे जीवन की सच्ची पूँजी है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )