काव्य संग्रह "साथ आपका पाकर" पर हुई चर्चा
सागर की संस्थाएं साहित्य के उत्थान में निरंतर अपना योगदान दे रही हैं - डॉ.अजय तिवारी
प्रत्येक कविता रचनाकार के सरोकारों की काव्यात्मक अभिव्यक्ति होती है - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
सागर। तुलसी साहित्य अकादमी एवं हिंदी साहित्य भारती संस्था की सहभागिता में लेखिका एवं कवियित्री श्रीमती सुनीला सराफ की काव्य कृति "साथ आपका पाकर" पर विवेकानंद अकादमी गोपालगंज के सभाकक्ष में विविधतापूर्ण चर्चा हुई। कार्यक्रम की मुख्य
अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुश्री शरद सिंह ने काव्य सर्जना की प्रक्रिया और उसके महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि कविताओं पर चर्चा जरूरी है अन्यथा वे हाशिया में खड़ी रह जाती हैं। प्रत्येक रचनाकार इसी समाज के अनुभवों को जीता है और उन्हें को अपने अंतर्मन में महसूस कर अपने शब्दों में अभिव्यक्ति प्रदान करता है। कवयित्री सुनीला सराफ ने अपने काव्य संग्रह "साथ आपका पा कर" में अपनी जिन कविताओं को संजोया है, उनमें उनके उन्हीं सरोकारों की रचनाएं हैं जिन्हें उन्होंने प्रत्यक्ष या मानसिक रूप से अनुभव किया है इसीलिए इस संग्रह की सभी कविताएं एक आईने की तरह समाज, परिवार और व्यक्ति के चरित्र को उसकी चेष्टाओं को, प्रकृति के साथ उसके तादात्म्य को बखूबी प्रतिबिंबित करती हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं कुलाधिपति डॉ.अजय तिवारी ने कहा कि "सागर की साहित्यिक संस्थाएं श्यामलम् संस्था के मार्गदर्शन में पुस्तक लोकार्पण एवं पुस्तक चर्चा जैसे कार्यक्रम करके साहित्य के उत्थान में निरंतर अपना योगदान दे रही हैं। साहित्य में मेरी भी गहरी रुचि है इसीलिए ऐसे आयोजनों में मैं सदा सहयोग के लिए तत्पर रहता हूं।
विशिष्ट अतिथि प्रबुद्ध पाठक मंच के अध्यक्ष साहित्यकार आर के तिवारी ने कहा कि पुस्तकें पाठकों तक पहुंचें तभी लेखन की सार्थकता है।
डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में हिंदी विद्वान डाॅ.सुजाता मिश्र ने पुस्तक पर अपने समीक्षात्मक वक्तव्य में पुस्तक की कविताओं को दैनन्दिन जीवन से जोड़ा एवं इन कविताओं की उपयोगिता पर बात रखी। शीर्षक कविता जीवन यात्रा में मिले साथियों और आत्मीयजनों को समर्पित है जिन्होंने उन्हें साहित्य जगत में पुनः सक्रिय होने के लिये प्रेरित किया, यह शीर्षक कविता सागर के साहित्यिक समाज को समर्पित है, और इस कविता को पढ़ते हुए मुझे कहीं ये एहसास हुआ कि हम सब एक परिवार ही तो हैं, जितना बेहतरी से हमलोग एक - दूसरे को समझ सकते हैं शायद ही कोई अन्य समझे ।
कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती की पूजन अर्चना से हुआ। कवि मुकेश कुमार तिवारी ने वंदना का पाठ किया। स्वागत भाषण अंबिका यादव संस्था अध्यक्ष हिन्दी साहित्य भारती ने दिया। तुलसी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष अरूण कुमार दुबे अरूण ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी तथा इस पुस्तक समीक्षा पर बात रखी।
लेखिका सुनीला सर्राफ ने अपनी पुस्तक का मन्तव्य बताया एवं दो कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर चंडीगढ़ से पधारी
कुंडलिनी योग विशेषज्ञ श्रीमती अंशिका सराफ गुलाटी ने भी अपनी बात रखी।
कार्यक्रम का व्यवस्थित और प्रभावी संचालन म.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने किया तथा तुलसी साहित्य अकादमी के संचार प्रमुख कवि पुष्पेंद्र दुबे कुमार सागर ने आभार प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर उमा कान्त मिश्र, कपिल बैसाखिया, डॉ नलिन निर्मल,डॉ अरविंद गोस्वामी,एम शरीफ,अशोक तिवारी अलख, रमेश दुबे, प्रदीप चौरसिया,माधव चंद्रा, सौरभ दुबे,अवीरा गुलाटी,साक्षी सोनी अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
हार्दिक आभार भाई देवेन्द्र सोनी जी 🙏
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