काव्य :
फरमाने दो
फूलों को खिल खिल जाने दो।
सपनों से मिल मिल जाने दो।
पीले हो कर धरा दिखेंगे ।
पत्तों को गिर गिर जाने दो ।
जो दुश्मन हैं वतन क़ौम के ।
उनको तो चिर चिर जाने दो।
बदरी छाई है स्वागत कर ।
अम्बर को झर झर गाने दो ।
तुम आए हो इतने दिन में।
यही मिलन फिर दोहराने दो।
कितना कुछ मन में है मेरे।
कानों तेरे फरमाने दो।
- आर एस माथुर,इंदौर
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