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सूत्रधार संस्था का पंचम वार्षिकोत्सव समारोह एवं बहुभाषी कवि सम्मेलन हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न


 सूत्रधार संस्था का पंचम वार्षिकोत्सव समारोह एवं बहुभाषी कवि सम्मेलन हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न 

हैदराबाद। साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा और समाज सेवा हेतु समर्पित अग्रणी राष्ट्रीय संस्था- 'सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद' भारत ने अपनी साहित्यिक यात्रा के 5 वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर हिन्दी प्रचार सभा, नामपल्ली, हैदराबाद के सभागार में पंचम वार्षिकोत्सव समारोह का आयोजन किया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने नगर द्वय के लब्ध प्रतिष्ठ वरिष्ठ साहित्यकार, प्रखर वक्ता, कवि एवं समालोचक प्रो.ऋषभदेव शर्मा को कार्यक्रम की अध्यक्षता करने हेतु मंच पर सादर आमंत्रित किया। तत्पश्चात् जैन समाज की वरिष्ठ समाजसेवी एवं कवयित्री श्रीमती विमलेश सिंघी को मुख्य अतिथि के रूप में, बैंगलुरु से इस समारोह के लिए विशेष रूप से पधारीं हुई एडवोकेट एवं कवयित्री श्रीमती अमृता श्री को मंच पर आमंत्रित किया। संस्था की उपाध्यक्ष श्रीमती ज्योति गोलामुडी को भी उन्होंने मंच पर आमंत्रित किया। तत्पश्चात् मंचासीन अतिथियों और संस्था के पदाधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

समारोह का प्रथम सत्र विशेष रूप से नन्हे-मुन्ने बाल कलाकारों को समर्पित था। इस सत्र में श्रीमती शुभ्रा मोहन्तो द्वारा संचालित अकादमी 'संगीत साधना संगीतालय, हैदराबाद' की सुश्री चन्द्रेयी मंडल, सुश्री आरुषि मंडल, सुश्री संघमित्रा बिस्वास, सुश्री शरन्या रावल और सुश्री ईशानी महापात्र ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।

संस्थापिका सरिता सुराणा ने अपने स्वागत भाषण में सभी सम्मानित अतिथियों का शब्द पुष्पों से हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। श्रीमती आर्या झा ने संस्था के पांच वर्षों के कार्यक्रमों और गति-प्रगति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् संस्था के पदाधिकारियों द्वारा मंचासीन अतिथियों का शाॅल और मोती माला से सम्मान किया गया। उन्हें त्रैमासिक ई-पत्रिका-'मंजरी' के प्रथम अंक की स्पाइरल बाइंडिंग काॅपी भेंट की गई। साथ ही साथ मंजरी पत्रिका के द्वितीय अंक के आवरण पृष्ठ का लोकार्पण अतिथि गणों, सम्पादक और पत्रिका की डिजाइनर द्वारा किया गया।

सम्मान के इस क्रम में संस्था की संरक्षक सदस्यता ग्रहण करने हेतु श्रीमती विमलेश सिंघी और श्रीमती किरन सिंह का शाॅल, मोती माला और मोमेंटो से सम्मान किया गया।

फिर आरम्भ हुआ बाल कलाकारों द्वारा गायन, वादन और नृत्य का कार्यक्रम। सर्वप्रथम सुश्री ध्रुवी बालाजी ने देशभक्ति से ओतप्रोत गीतों पर अपना शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। इसी क्रम में श्री स्कन्दन धन्वी ने पियानो पर- सारे जहाँ से अच्छा गीत की धुन प्रस्तुत की। सुश्री आमौलिका डांग, सुश्री सानवी पोतदार और सुश्री दर्शनी बाबू ने बहुत-से देशभक्ति गीतों को क्रमवार प्रस्तुत करके माहौल को देशभक्ति मय बना दिया।

डॉ. जयरामन बालकृष्णा द्वारा संचालित 'नृत्यांजलि आर्ट्स एकेडमी' की बालिकाओं- कुमारी राचा दिति वर्षिणी और कुमारी अंजना ने कुचिपुड़ी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हाॅल गुंजायमान हो उठा। तत्पश्चात् सुश्री सन्निधि वर्मा ने बिरजू महाराज का तराना पर कत्थक नृत्य प्रस्तुत करके सबकी वाहवाही बटोरी। नृत्य के क्रम को आगे बढ़ाते हुए सुदेष्ना सामंत और सन्निधि वर्मा ने राधा-कृष्ण के प्रेम पर आधारित शानदार युगल नृत्य प्रस्तुत किया।

प्रिय सान्निध्य वर्मा ने अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में स्वरचित कविताओं का पाठ किया। सुश्री गोलामुडी वेंकट अन्विका ने अपनी ओजस्वी वाणी में राम स्तुति प्रस्तुत करके सबका मन मोह लिया। वार्षिकोत्सव समारोह में भाग लेने वाले सभी बच्चों को अतिथि गणों द्वारा मोमेंटो और प्रमाण पत्र प्रदान करके सम्मानित किया गया। 

विशेष अतिथि अमृता श्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम 5 वर्ष पहले यहां हैदराबाद में ही मिले थे और फिर कोरोना काल के समय सरिता जी ने इस संस्था की नींव रखी और आज़ यह लहलहाता हुआ पौधा वृक्ष बनने की ओर अग्रसर है। इन 5 वर्षों में हमारे रिश्ते और मजबूत हुए हैं और इसी स्नेह के वशीभूत होकर मैं इस वार्षिकोत्सव समारोह में भाग लेने हेतु बैंगलोर से यहां आई हूं। यह साहित्यिक यात्रा निरन्तर जारी रहे, यही शुभकामना करती हूं। मुख्य अतिथि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सब विद्वानों के बीच अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मुझे इस शानदार आयोजन का हिस्सा बनाने के लिए बहन सरिता सुराणा का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा और समाज सेवा ये सूत्रधार के पंच प्राण हैं और इन्हीं के सहारे सूत्रधार की सूत्रधार सरिता सुराणा जी देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी सौरभ फैला रही हैं। उन्होंने संस्था के उज्ज्वल भविष्य हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रदान की। श्रीमती ज्योति गोलामुडी ने प्रथम सत्र का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह हम सबके लिए गर्व और प्रसन्नता की बात है कि आज़ सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के पंचम वार्षिकोत्सव समारोह में इतने बाल कलाकार शामिल हुए हैं और सबने बहुत सुन्दर प्रस्तुतियां दी हैं। उन्होंने सभी सम्मानित साहित्यकारों, पदाधिकारियों और अभिभावकों का तथा बच्चों का आभार व्यक्त किया। इसके पश्चात् भोजनावकाश की घोषणा करके प्रथम सत्र का समापन किया गया।

द्वितीय सत्र में बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सत्र में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे को मंच पर आमंत्रित करके उनका सम्मान किया गया। इस कवि सम्मेलन में अमिता श्रीवास्तव, आर्या झा, कल्याणी झा, सुश्री खुशबू सुराणा, अंशु श्री सक्सेना, ममता जायसवाल, पुष्पा वर्मा, मनीष अखौरी, डॉ.बी बालाजी, श्री बी कुमार, ज्योति गोलामुडी और सरिता सुराणा ने हिन्दी भाषा में अपनी रचनाओं का पाठ किया। 

श्रीमती भावना पुरोहित ने गुजराती भाषा में हाइकु प्रस्तुत किए तो श्रीमती सुनीता लुल्ला ने सिन्धी भाषा में ग़ज़ल प्रस्तुत की। श्रीमती शुभ्रा मोहन्तो ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता का हिन्दी अनुवाद और बांग्ला गीत प्रस्तुत किया। दर्शन सिंह ने पंजाबी भाषा में, श्री राकेश राउत ने मराठी भाषा में और श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया ने मारवाड़ी भाषा में शानदार गीत प्रस्तुत किया। बिनोद गिरि अनोखा ने भोजपुरी भाषा में समसामयिक घटनाचक्र पर आधारित प्रेम प्रसंगों पर अपनी चुटीली व्यंग्य रचना प्रस्तुत की। सुहास भटनागर ने अंग्रेजी भाषा में काव्य पाठ किया।

मंचासीन अतिथियों में अमृता श्री, विमलेश सिंघी ने हिन्दी भाषा में काव्य पाठ किया। प्रो. गंगाधर वानोडे ने संस्था को शुभकामनाएं दी और कहा कि संस्था का उद्घाटन समारोह केंद्रीय हिन्दी संस्थान के सभागार में ही आयोजित किया गया था। आज़ इस वार्षिकोत्सव समारोह में शामिल होकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। उन्होंने हिन्दी भाषा में अपनी रचना प्रस्तुत की। अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने सभी कवि-कवयित्रियों की रचनाओं की समीक्षा करते हुए सभी को बधाई दी और इस बहुभाषी कवि सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु संस्था को बधाई दी।

उन्होंने अपनी रचनाओं का हिन्दी में पाठ किया। सुहास भटनागर ने सम्पूर्ण कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन किया। इस कार्यक्रम में राजभाषा विभाग से जुड़े हुए अधिकारी गण - वी वेंकटेश्वर, विष्णु भगवान शर्मा, विश्वेश्वर कुमार श्रीवास्तव, डॉ. बी बालाजी, हिन्दी प्रचार सभा के विशेष अधिकारी श्रुतिकांत भारती की उपस्थिति रही। उनके साथ-साथ प्रदीप जाजू, सचिन एस पोतदार, नंदिता मंडल, सुजाता मोहपात्रा, तनुश्री मंडल, अमित झा, मनीष अखौरी, आलोक कुमार सक्सेना, किरन सिंह, तृप्ति मिश्रा, सुदेष्ना सामंत, वर्षा शर्मा, शीला इंगले, जे जगन्नाथ और सभी बच्चों के अभिभावक उपस्थित थे। काव्य पाठ के पश्चात् कार्यकारिणी समिति के समस्त सदस्यों का मोमेंटो से सम्मान किया गया। मंजरी पत्रिका के आवरण पृष्ठ एवं सम्पूर्ण पत्रिका की कंपोजिशन और तकनीकी कार्यों में सहयोग हेतु सुश्री खुशबू सुराणा का विशेष सम्मान किया गया। बिनोद गिरि अनोखा के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।


रिपोर्ट 

सरिता सुराणा 

संस्थापिका 

सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद, भारत

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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