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सावधान: बरसात बिगाड़ न दे मानसिक स्वास्थ्य - डॉ मनोज कुमार तिवारी,वाराणसी


 सावधान: बरसात बिगाड़ न दे मानसिक स्वास्थ्य

डॉ मनोज कुमार तिवारी 

वरिष्ठ परामर्शदाता 

एआरटीसी, एस एस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी

      बारिश का प्रभाव अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग होता है, कुछ लोगों के लिए बारिश आरामदायक होता है तो कुछ लोगों के लिए निराशापूर्ण होता है। कुछ लोगों को मौसमी भावात्मक विकार (एसएडी) का अनुभव होता है। बारिश के कारण होने वाले तनाव से पहले से मौजूद मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद, चिंता व जुनूनी बाध्यकारी विकार और भी गंभीर हो जाता है।

*सकारात्मक प्रभाव::-*

*तनाव कम होना:-*

शोध बताते हैं कि बारिश नकारात्मक आयन हवा में छोड़ेते हैं, जिन्हें सांस के जरिए लेने से तनाव कम होता है व ऊर्जा का स्तर बढ़ता है तथा मनोदशा बेहतर होता है।

*शांत व आरामदायक:-*

कुछ लोगों के लिए बारिश की आवाज आरामदेह व शांत होता है जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। 

*ध्यान केंद्रित करने में मदद:-*

बारिश के दिनों में घर के अंदर रहने से लोग अपने शौक व काम पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। 

*सकारात्मक यादें:-*

मिट्टी की खुशबू, जिसे पेट्रीकोर कहा जाता है, कुछ लोगों में सकारात्मक यादें और भावनाएं पैदा करती हैं।

*माइंडफुलनेस:-*

बारिश में होने वाली गतिविधियाँ जैसे टहलना, बारिश को देखना माइंडफुलनेस व वर्तमान में रहने में मदद करती है जिससे चिंता कम होता है। 

*मौसमी भावात्मक विकार में सुधार:-*

बारिश की बूंदों के ज़मीन पर गिरने से बनने वाले नकारात्मक आयन मूड को बेहतर बनाते हैं व सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर को कम करते हैं।

*मनोदशा में सुधार:-* बरसात मनोदशा में सुधार करने में मदद करता है। बारिश में टहलने से मन व शरीर दोनों को लाभ होता है।

*कैलोरी बर्न में वृद्धि:-* बारिश के मौसम में सावधानीपूर्वक चलने कारण मांसपेशियों को अधिक सक्रियता मिलती है। मांसपेशियों की सक्रियता में वृद्धि होती है व शारीरिक फिटनेस में सुधार होता है।

*सामाजिक संबंधों को बढ़ावा:-* बारिश स्थानीय समुदाय के भीतर परस्पर संपर्क को प्रोत्साहित करता है व अपनेपन की भावना को बढ़ावा देता है। सामुदायिक सम्बंधों को मजबूत करता है।

*नकारात्मक प्रभाव:-*

*उदासी और निराशा:-*

सूरज की रोशनी की कमी व मौसम में बदलाव के कारण लोगों को उदासी व निराशा महसूस होता है। 

*सामाजिक अलगाव:-*

बारिश के कारण बाहर जाने में कठिनाई होने के कारण लोग अधिकांश घर के अंदर रहते हैं जिससे सामाजिक अलगाव व अकेलापन महसूस होता है।

*तापमान में परिवर्तन का प्रभाव:-*

10 डिग्री सेल्सियस से कम या 21 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान खराब मनोदशा का कारण बनता है जबकि 10 डिग्री सेल्सियस व 21 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान अच्छे मनोदशा बनाता है। बारिश के दौरान तापमान में अप्रत्याशित परिवर्तन होते हैं जिससे मनोदशा पर खराब प्रभाव देखा जाता है। 

*वायुमंडलीय दबाव:-*

बारिश में वायुमंडलीय दबाव में उतार - चढ़ाव मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और कुछ लोगों में चिंता व सिर दर्द पैदा करता है। 

*बारिश के मौसम में चिंता के कारण:-*

# सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन का स्तर नियंत्रित होता है। ये हार्मोन मनोदशा व नींद के पैटर्न को नियंत्रित करते हैं। वर्षा के मौसम में धूप कम होने से सेरोटोनिन और मेलाटोनिन कम बनता है जिससे कुछ लोगों में अवसाद, भय, चिंता और अन्य संबंधित समस्याएं पैदा होती है।

# भारी बारिश से बाढ़ आती है और जान-माल का भारी नुकसान होता है। इसलिए भारी वर्षा से भयावहता व चिंता की भावना पैदा होती है।

# बारिश के मौसम में लोग काम के लिए बाहर नही जा पाते हैं और घर के अंदर ही कैद हो जाते हैं। इससे मन में कई तरह की नकारात्मक भावनाएँ व चिंता पैदा होती हैं।

# उदास मौसम के दौरान मेलाटोनिन व सेरोटोनिन हार्मोन नियंत्रित नहीं होते हैं, इसलिए कुछ लोगों को समय पर खाने या सोने की इच्छा नहीं होती है, जिससे अवसाद होने का जोखिम होता हैं।

# जो लोग बाढ़/बारिश से अपने लोगों व पड़ोसियों को खो देते हैं उनमें भय बढता है और पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर) की समस्या होती है।

# लम्बे समय तक बरसात होने से लंबे समय तक घर के अंदर रहने से अकेलापन व चिंता बढती है।

*निवारण:-*

# कुछ समय धूप में बिताने की कोशिश करें।

# घर के अंदर ही व्यायाम व योग करें।

# दोस्तों व परिवार के साथ समय बिताएं।

# पौष्टिक भोजन करें। चीनी व कैफीन का सेवन कम करें। स्वस्थ भोजन से शरीर व दिमाग को ठीक से काम करने में मदद मिलती है।

# पर्याप्त नींद लें (7-8 घंटे)

# यदि आप उदासी या चिंता से जूझ रहे हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करें। 

बरसात का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव व्यक्तिगत होता है। यदि आप बारिश के मौसम में उदास या निराश महसूस करते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी भावनाओं को पहचानें और यदि आवश्यक हो तो मदद लें। दोस्तों और परिवार के साथ बात करना और समय बिताना भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करता है। ध्यान, योग व गहरी साँस लेने की तकनीकें शांत रहने और चिंता को कम करने में मदद करती हैं।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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