व्यंग्य
इंपोर्टेंस चाहिए तो बीमार बने रहें
विवेक रंजन श्रीवास्तव
भोपाल
मुसद्दीलाल बीमार पड़े तो एक दम से उनकी इंपोर्टेंस बढ़ गई। हमेशा ताने मरने वाली , बेबात नाराज रहने वाली पत्नी उनकी तीमारदारी में लग गई। सुबह पलंग पर ही बिन मांगे चाय , फिर घंटे भर बाद स्प्राउट्स का हेल्दी नाश्ता मिलने लगा । उनकी कमजोरी का ख्याल कर अपने नरम कंधे का सहारा देकर बीबी उन्हें नहलाने ले जाती , रोटी के फुल्के और परवल की सब्जी का रसा एक एक निवाला खिलाती। नाते रिश्ते के लोग उनसे मिलने आते ,दोस्तों से प्यार भरे संदेश आते , ऑफिस से खुचड़ बॉस ने उन्हें गेट वेल सून के मैसेज के साथ फूलों का बुके भेजा । यह सारी खातिरदारी देख मुसद्दीलाल ने मन ही मन अपनी बीमारी के एक्सटेंशन का इरादा कर लिया। वे पलंग पर पड़े हुए बीमारी के लाभ चिंतन करते । वे सोचते यदि सब हमेशा स्वस्थ रहने लगे, तो डॉक्टरों का, दवा कंपनियों का, और "बीमारी सलाहकारों" का क्या होगा? मुसद्दीलाल बीमारी बनाये रखने की योजनाएँ बनाते , जिनसे किसी न किसी तरह, कोई न कोई रोग आपको घेरे रहेगा और आपको सबसे अटेंशन का वी आई पी स्टेटस मिलता रहेगा । मुसद्दीलाल के बीमारी के नुस्खों में पहला नुस्खा है कसरत को भूल जाइए! शरीर को जंग लगाने की सुनिश्चित तकनीक है, खाओ पियो पड़े रहो , आडे टेढ़े लेट कर मोबाइल या अख़बार में घुसे रहिए। मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाएंगी , जोड़ों में जंग जमेगी, और मोटापा आपका स्थायी साथी बन जाएगा। यकीन मानिए, ये "एंटी-कसरत" थेरेपी हृदय रोग और डायबिटीज़ की गारंटी देती है!
सुबह-शाम घूमना? अस्वस्थता के लिए खतरनाक प्रवृत्ति है! विटामिन डी और ताज़ा हवा से बचाव कीजिए। पर्दे खींचकर, एसी चलाकर अंधेरे कमरे में दुबके रहिए। ऑस्टियोपोरोसिस और डिप्रेशन आपका स्वागत करने को तैयार बैठे मिलेंगे । प्रदूषित हवा ही बीमारी के लिए असली टॉनिक है।
पाचन तंत्र को ओवरटाइम काम पर लगाने की कला सीखनी चाहिए । व्रत रखेंगे तो पेट को आराम मिलेगा, डिटॉक्स होगा? यह नासमझी है! जब भी मन करे, जो भी मिले चटपटा, तला-भुना, मिठाई ठूँसिए। पेट को काम में लगाए रखिए। एसिडिटी, गैस और लिवर की शिकायतें आपके सेवन की प्रशंसा में गीत गाएंगी।
सबके साथ बैठकर खाने से परिवार जनों, दोस्तों में बातचीत होती है, प्यार बढ़ता है? क्या फायदा? अकेले फोन चलाते हुए खाइए। जल्दी-जल्दी खाना निबटाइए।
पत्नी के बनाए भोजन में मीन मेंख निकालिए , इससे मानसिक तनाव भी मुफ़्त में मिलेगा!
हँसने से एंडोर्फिन रिलीज़ होता है, तनाव कम होता है , ये तो स्वास्थ्य अपराध है! गंभीर, उदास, चिड़चिड़ा चेहरा बनाए रखिए। बोरियत और निराशा को पालिए। डिप्रेशन और सोशल आइसोलेशन आपकी इस समर्पण भावना का सम्मान करेंगे, और आपको दिमागी तौर पर पंगु बनाकर ही मानेंगे।देर रात तक जागिए। सोशल मीडिया स्क्रॉल कीजिए, टेंशन लीजिए। दिन में झपकियाँ लेकर रात की नींद उड़ाइए। अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और कमज़ोर इम्युनिटी , बीमार बने रहने का तिगुना लाभ पाने का यह उत्तम मार्ग है। मन की बात मन में ही दबाए रखिए। गिले-शिकवे पालिए। अकेलेपन और मनोवैज्ञानिक उलझनों को निमंत्रण दीजिए, वे खुशी-खुशी आपका आमंत्रण स्वीकार करेंगे।
खुश रहने से जीवन आसान होता है, इसलिए हमेशा शिकायतें ढूंढिए। दूसरों से तुलना करके दुखी होइए। छोटी-छोटी बातों पर भड़किए। ग़लत जगह, ग़लत समय पर अपनी राय ज़रूर रखिए। अनावश्यक बहसों और दुश्मनियों का निर्माण करिए। यकीनन, यह आपके सिरदर्द और ब्लड प्रेशर को नया आयाम देगा।
कहावत है एक अच्छा दोस्त तो पूरी की पूरी दवाई की दुकान है?
इसलिए ऐसा साथी बनाए, जो गलत नकारात्मक सलाह दे, विषैला रिश्ता पूरा का पूरा "बीमारियों का सुपरस्पेशलिटी अस्पताल" होता है! वह आपको तनाव देगा, गलत सलाह देगा, और आपके सभी अस्वस्थ प्रयासों में हौसला बढ़ाएगा। उन्हें पकड़कर रखिए । वे आपके "बीमा योजना" का धन प्राप्त करवाने वाले सबसे बड़े गारंटर हैं। ध्यान रहे थोड़ी सी लापरवाही, जैसे कभी खुलकर हँस लेना या भोजन के बाद खुली हवा में टहल आना, आपके कई वर्षों के अस्वास्थ्य संचय पर पानी फेर सकता है। सतर्क रहें, निराश रहें । बीमारी का भरपूर मजा लेना सबके बस की बात नहीं! बीमार रहकर इंपोर्टेंस का वी आई पी दर्जा प्राप्त होता है, जिसका मजा ही अलग है।
- विवेक रंजन श्रीवास्तव