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माता पिता की सेवा, सारे तीर्थ धाम के बराबर: युवराज स्वामी


 माता पिता की सेवा, सारे तीर्थ धाम के बराबर: युवराज स्वामी 

ईश्वर की भक्ति निश्चल मन से करें, पाखंड से नहीं

इटारसी। माता पिता की सेवा में ही ईश्वर के सभी तीर्थ धामों के दर्शन का फल मिलता है। आजकल लोग तीर्थ यात्राओं पर जाते है और ऊपरी मन की भक्ति दिखाते है और उनके घर में देखो तो माता पिता दुखी है, उनकी सेवा तो छोड़िए कई घरों में उन्हें समय पर भोजन पानी भी नहीं मिलता। उनके बच्चे तीर्थ क्षेत्रों पर जाकर ऐसी भक्ति दिखाते हैं जैसे उनसे बड़ा कोई भगवान भक्त ही नहीं है। ऐसे लोगों की भक्ति ईश्वर स्वीकार नहीं करते जिनके मातापिता घर में दुखी हैं। सबसे पहले अपने माता पिता का ध्यान रखें, उनकी सेवा करें, उनके सुख दुख को सुने, उनके साथ समय बिताए ऐसा करने से ईश्वर की कृपा आपके ऊपर स्वतः ही बनी रहेगी। उक्त उदगार श्रीमती मनोरमा देवी गुप्ता एवं परिवार बैंगलोर द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ से श्रीश्री 1008 युवराज स्वामी रामकृष्णाचार्य जी ने व्यक्त किए। 

पंचम दिवस की कथा में महाराज श्री ने श्रीकृष्ण बाल लीला एवं गोवर्धन लीला को कथा विस्तार से श्रोताओं को सुनाई। साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ कथावाचकों के बहकावे में आकर लोगो ने भक्ति में पाखंड का सहारा ले लिया है। जिन्हें शास्त्रों और पुराणों का पूर्ण जान नहीं है ऐसे लोग कई प्रकार के टोटके और उपाय बताकर लोगों की समस्या हल होने का दावा करते है। वैसे तो यह कार्य वे साल भर करते हैं लेकिन सावन में पाखंडियों का खेल बड़ा हो जाता है। लेकिन भगवान भोलेनाथ तो साफ मन से अर्पित किए हुए पुष्प, माला ओर धतूरे से भी प्रसन्न हो जाते है। भोलेनाथ या किसी भी भगवान को प्रसन्न करने के लिए किसी आडंबर या पाखंड की आवश्यकता नहीं है यह बात लोगों को समझनी होगी।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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