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काव्य : /ग़ज़ल/आशिक़ मिज़ाज हैं -- प्रदीप ध्रुव भोपाली भोपाल


 काव्य : 

/ग़ज़ल/आशिक़ मिज़ाज हैं

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वो कह रहे तो मान ही लेते हैं आज हम|

वरना तो सख़्त रखते हैं ख़ुद का  मिज़ाज हम|


दिल खोल आशिक़ी करें ये दिल का मामला, 

आशिक़ मिज़ाज हैं न कोई चालबाज़ हम|


देते पनाह इश्क़ में जिसको भी हम कभी,

उसके लिए मियाद से करते रियाज़ हम|


हद पार करने पर भी उसके बेख़बर रहे ,

इंसानियत का आख़िरी रखते लिहाज़ हम|


फुटपाथ में रहा मगर वो है अमीर अब,

कितना छुपाये जानते सब हैं वो राज हम|


क्यो कर मुसाफ़िरों में होती जंग भी मगर, 

जाते सभी न कोई कहता जाएं आज हम|


तौहीन हर कोई मेरी करता रहा मगर,

करते हैं चोट जैसे कोई हों भी साज हम|


मानिन्द आदमी के ही रहना मुफ़ीद है, 

आदम कोई भी हो गिराते हैं न गाज़ हम|

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प्रदीप ध्रुव भोपाली भोपाल मध्यप्रदेश

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देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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