काव्य :
अभिव्यक्ति दोहे
भाषण कथन उक्ति या हो व्याख्यान,
सोच समझ बोलिए हे मनुज सुजान।१।
बोली वाणी व्यक्ति की है वाकी पहचान,
जैसे शब्द ऊचरै , बने दूजे कौ परिधान।२।
भाव विचार व्यक्त करै सो ही व्यक्ति होय,
सत्य न्याय स्पष्टता है अभिव्यक्ति सोय। ३।
अधिकार समझ न बोलिए कोई कुविचार,
निजता कलुषित होय अरु फैले अत्याचार।४।
कर्तव्य अधिकार में, मान कें चले जो भेद,
नागरिक कभी न बन सके, पढ ले चारों वेद।५।
अंतर कभी न कीजिए , राष्ट्र देश समाज ,
मानव को ना बांट सकें, धर्म पंथ व जात।६।
विश्व बंधुत्व का भाव हिय में रखो संजोय,
भारत देश की एकता सदा अखंडित होय।७।
- डॉ सत्येंद्र सिंह
पुणे, महाराष्ट्र
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