भगवतकथा का श्रवण, मुक्ति का मार्ग है: युवराज स्वामी महाराज : सोशल मीडिया पर बच्चों की गतिविधि का मातापिता रखे ध्यान
इटारसी। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण इस नश्वर संसार से मनुष्य की मुक्ति का मार्ग है। श्रीमद् भागवत कथा आपको व्यवहारिक जीवन में कैसे जीना है, किससे प्रेम करना है, किससे कैसा व्यवहार करना है यह सब सिखाती है। उक्त अधिकार श्री श्री 1008 युवराज स्वामी रामकृष्णाचार्य जी ने बैंगलोर निवासी श्रीमती मनोरमा देवी गुप्ता एवं परिवार द्वारा आयोजित श्रीमती श्रीमद् भागवत कथा के प्रारंभ दिवस पर बुधवार को सरला मंगल भवन में आयोजित श्रीमदभागवत कथा में व्यासपीठ से व्यक्त किए।
व्यासपीठ से युवराज स्वामी ने संबोधित करते हुए कहा कि समस्त माता-पिता को अपने बच्चों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर विशेष नजर रखनी चाहिए। पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव हमारे देश और घर-घर तक पहुंच गया है। हम अपने संस्कार भूलकर अश्लीलता और फूहड़ता के पीछे भाग रहे हैं। बच्चे जिन्हें अच्छे बुरे की समझ नहीं है वे लोग सोशल मीडिया पर उपलब्ध अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट से प्रभावित हो रहे हैं। उनकी बुद्धि और विवेक भी क्षीण हो रहा है। युवराज स्वामी जी ने अपने बच्चों को भगवत मार्ग से जोड़ने का संदेश सभी माता-पिता को दिया।
प्रथम दिवस पर उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा माहात्म्य एवं श्री शुकदेव परीक्षित संवाद की कथा सुनाई। साथ ही उन्होंने संसार में प्रत्येक मनुष्य सतकर्म के द्वारा महान बन सकता है, जितने भी महान महापुरूष हुए है और जिन्हे आप मानते हो, उनका शरीर भी पांच तत्व का हमारे जैसा ही होता है। उन्होंने कहा कि हम सभी को उन के जैसा आचरण दिनचर्या, व्यवहार, सतकर्म करना होगा, तभी हम महान कार्य कर सकते। उन्होंने कहा बेईमानी झूठ, धोखा, भ्रष्टाचार की कमाई कचरे के बराबर हो जाती है। परमेश्वर की बनाई इस दुनिया में सच्ची-सुखशांति और आनंद भगवान की भक्ति से ही मिलता है। जिसका कर्म व्यवहार शुद्ध होगा उसी को प्रभु भक्ति, कथा, नाम स्मरण में आनंद आता है। जो झूठ बोलता, चोरी, नशा, धोखा, छल, कपट, दिखावा करता है उसका मन कभी भगवान को स्पर्श नहीं कर सकता। श्रीमद्भागवत कथा आपको सत्कर्म की राह पर चलने का उपदेश देती है। कथा में भागवत गोष्ठी के सदस्य रमेश चांडक, श्रीकांत मोलासरिया, सतीश बांगड़, अर्पण माहेश्वरी, नितिन अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित रहे।