काव्य :
मां का आंचल
माँ का आंचल छुट ही गया।
भगवान हमसे रूठ ही गया।।
माँ के आंचल से दूर हुए।।
माँ के शोक में भाव विभोर हुए।।
माँ तुम घर की थी आन,बान, शान।।।
अब तुम बिन लगता है ,सारा घर विरान।।
माँ जब् तक तुमसे, बात न होती।
न दिन होती ,न रात सुकून से कटती ।।
माँ से अब न ,हो सकती बात ।।
किससे करेंगे दिल की फरियाद।
घर के कोने कोने में माँ की छबि है बसी।।
पर जान हमारी माँ में है बसी।।
हमारें बच्चों की खुशी में भूल जाती अपना हर दुख।
अपने बच्चों को जीवन भर , देती रही हर सुख।।
मायके की वह गलियां सूनी लगती है।
जहां हंसी थी अभी वहां यादें सिसकती हैं।।
मां की वो मीठी बातें ,वो प्यार की झप्पी।
तस्वीरों में रह गई उनकी प्यार भरी थपकी।।
महीने बीत रहे काश तुम आ जाती ।
प्यार से गले लगाकर माथे को चूम जाती ।
आंखों में आंसू है ,दिल में एक आस है ।
पता नहीं क्यों लगता है अब भी तू हमारे पास है।
मां होती है जीवन का आधार ।
जिसे मिलती हमें खुशियां अपार।।
मां की ममता साथ तेरे ।
हर पल हर दिन रात तेरे ।।
छूट कर भी ना छूटे यह रिश्ता
अंतिम क्षण तक साथ तेरे
"मां की ममता की छांव सदा बनी रहे,।।।
बच्चों का चेहरा हमेशा खिला-खिला रहे।
मां की हंसी से रोशन सुबह होता रहे,।।
सुख-शांति स्वास्थ्य से जीवन सजा रहे।
मां जिंदगी का आश होती है
मां जिंदगी का संबल होती है
मां जिंदगी का सहारा होती है
मां जिंदगी का विश्वास होती है
माँ तुम सबसे खास हो
पर अब तुम बस एक अहसास हो
मेरी मां को समर्पित यह पंक्तियां,
स्वर्ग की सीढ़ी पर आत्मा आपकी चढ़ती जाए।
जन्म मरण से मुक्त होकर मोक्ष की ओर बढ़ती जाए।।
- श्रीमती प्रतिभा दिनेश कर
विकासखंड सरायपाली
बहुत-बहुत धन्यवाद सोनी सर 🙏
ReplyDeleteहमारी भावनाओं को स्थान देने के लिए साथ ही आपकी युवा प्रवर्तक प्रशासन को 45 वर्ष पूर्ण होने की ढेर सारी शुभेच्छा🥳🥳🥳
हृदयस्पर्शी पंक्तिययों 🙏🏻🥺 ने भावविभोर कर दिया 🙏🏻
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