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काव्य : ग़ज़ल। - हमीद कानपुरी,


 काव्य : 

ग़ज़ल


दुल्हन ही तंरह फिर तो  कुछ और  संवरती है।

बरसात  के  मौसम  में   ये  धरती खनकती है।


आराम  नहीं  आता  इक पल को  ज़रा सा भी,

जब याद  चिलम  जैसी   सीने  में  सुलगती है।


दुश्मन के जिगर छलनी हो जाते हैं इक पल में 

शमशीर  जो हैदर की बिजली सी  चमकती है। 


धड़कन  पे   रहे  काबू    कैसे  ये   बताओ  तो

वो   हूर  परी  जैसी   जब  बऩ  के  उतरती  है।


मुफलिस  के  बसेरे  को  बुलडोज़  जहाँ  करते

इक आह सी इस दिल से उस वक्त निकलती है।   


 - हमीद कानपुरी,

अब्दुल हमीद इदरीसी,

वरिष्ठ प्रबंधक, (सेवानि)

मण्डल कार्यालय, बिरहाना रोड,

कानपुर -208001

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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