स्वतंत्रता दिवस संग कृष्ण भक्ति की गुंजार-आभासी मंच पर हुआ अनूठा उत्सव
दिल्ली । स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी के उत्सव की गूंज आभासी पटल पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई ।इस विशेष अवसर पर देशभक्ति और कृष्ण भक्ति दोनों ही रंगों का संगम दिखाई दिया।
"स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी" समारोह की आयोजना के अवसर पर अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे वरिष्ठ साहित्यकार प्राध्यापक डॉ. दीनदयाल, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रही गलगोटिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. नेहा सिंह, विशिष्ट अतिथि की भूमिका में उपस्थिति रही वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक समीक्षक डॉ स्वाति चौधरी, प्रणेता साहित्य न्यास के संस्थापक अध्यक्ष आदरणीय एसजीएस सिसोदिया जी, प्रणेता साहित्य न्यास की महासचिव आदरणीय शकुंतला मित्तल उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का प्रारंभ सुषमा भंडारी द्वारा सुमधुर स्वरचित सरस्वती वंदना से हुआ तत्पश्चात प्रणेता साहित्य न्यास संस्थापक अध्यक्ष एसजीएस सिसोदिया जी ने सभी अतिथियों का स्वागत उद्बोधन के द्वारा स्वागत किया।
काव्य की फुहार से जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की रंग बिरंगी कविताओं दोहों छंदों के माध्यम से काव्य की पावन रस वर्षा की आदरणीय पुष्पा शर्मा कुसुम, शकुंतला मित्तल, सुषमा भंडारी, डॉ. कामना कौस्तुभ, राधा गोयल, सरिता गुप्ता, सरोजिनी चौधरी, डॉ.मुक्ता, प्रकाश कंवर, डॉ शारदा मिश्रा, गीता रस्तोगी "गीतांजलि" के द्वारा काव्य की बौछार ने पूरे वातावरण को अपनी भावनाओं से सराबोर कर दिया। कवियों ने जहाँ स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि के शौर्य को शब्द दिए, वहीं श्रीकृष्ण की लीलाओं, बाँसुरी की मधुरता और गीता के उपदेशों का भी भावपूर्ण चित्रण किया।
कविताओं की सराहना करते हुए अध्यक्ष ने कहा- कि इस तरह का आयोजन भारतीय संस्कृति को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं ऐसे आयोजन न केवल साहित्य को नई ऊर्जा देते हैं, बल्कि परंपरा और राष्ट्रप्रेम दोनों को एक साथ जीवित रखते हैं।
कार्यक्रम की, मुख्य अतिथि डॉ. नेहा सिंह ने कहा - इतना सुंदर आयोजन ने हम सबको इतना प्रभावित किया समय-समय पर ऐसे आयोजन होना चाहिए। कविताओं ने हम सबको भी प्रेरित किया बहुत कुछ सीखने को मिला।
विशिष्ट अतिथि डॉ .स्वाति चौधरी ने कहा- कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर, आध्यात्मिक चिंतन और साहित्यिक शक्ति ही वह आधार है, जिससे हमारा देश पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर हो सकता है। श्री कृष्ण की लीलाओं का चित्रण से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे चलचित्र चल रहा है मनमोहन वर्णन मोहित कर दिया।प्रणेता संस्था को हार्दिक शुभकामनाएं।कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ भावना शुक्ल ने अत्यंत सुंदर और प्रभावशाली ढंग से किया जिसमें सहज संवाद, साहित्यिक गरिमा और आत्मीयता का अद्भुत समन्वय दिखाई दिया। समारोह के अंतिम चरण में संस्था की महासचिव आदरणीय शकुंतला मित्तल ने बहुत ही खूबसूरती के साथ आत्मीयता पूर्ण शब्दों के साथ आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी अतिथियों, कवियों और श्रोताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि साहित्य, संस्कृति और संवाद ही वह शक्ति है जो हमें आपस में जोड़कर भारत के नव निर्माण की ओर अग्रसर करती है।