अ.भा. साहित्य परिषद की सरस काव्य गोष्ठी सम्पन्न : दीपिका मनवानी की पुस्तक ‘छंदावली’ का हुआ विमोचन
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की सरस काव्य गोष्ठी वरिष्ठ कवि पत्रकार श्री देवेन्द्र हंसवाल ( जावद - नीमच ) के मुख्य आतिथ्य साहित्यकार दीपिका किशोरी ( दाहोद ) के विशेष आतिथ्य एवं रेकी ग्रेण्ड मास्टर श्रीमती चंदा डांगी, पर्यावरण प्रेमी श्रीमती चन्द्रकला सिंह भावसार एवं एडवोकेट सुधा कुर्मी के सानिध्य तथा भजन गायक नरेन्द्रसिंह राणावत, इंजीनियर अभिनेता दिलीप कुमार जोशी, साहित्य परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र भावसार, पेंशनर्स महासंघ सचिव नंदकिशोर राठौर, जनपरिषद सचिव नरेन्द्र त्रिवेदी, चित्रकार राहुल राठौर, शायर कलीम शाह की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
इस अवसर पर दशपुर की बिटिया दीपिका मनवानी की पुस्तक ‘छंदावली’ का विमोचन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के द्वारा किया गया।
छंदावली पुस्तक के बारे में बताते हुए श्रीमती मनवानी ने कहा कि काव्य में छंदों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। दोहा, सोरठा, चौपाई, रोला एवं कुण्डलियां, छंदों को लिखते समय वर्णों एवं मात्राओं का बहुत ध्यान रखना होता है। इनके लिखने के कुछ व्याकरण नियम होते है जिनकी जानकारी इस पुस्तक से मिल सकेगी और साहित्यकारों को छंदों में निबद्ध रचनाएं लिखने में यह पुस्तक बहुत सहयोगी रहेगी। श्रीमती मनवानी ने छंदावली पुस्तक उनके प्रारंभिक गुरू श्री नंदकिशोर राठौर को समीक्षार्थ भेंट की।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री हंसवाल ने कहा कि नगर में गोष्ठियां साहित्य को पोषण प्रदान कर रही है। यह एक सुखद एहसास है।
इस अवसर पर काव्य पाठ में श्रीमती चंदा डांगी ने ‘‘सावन के आते ही बहन के मन में आता एक विचार’ कविता सुनाई, अजय डांगी ने मालवी कविता ‘‘ अब वा बात नी री’’ प्रस्तुत की। नरेन्द्र राणावत ने ‘ओ पानी के मेघा रे कितनी लगा दी देर रे, तड़प तड़प के पीली पड़ गई अंगुरी बेल रे’’ सुनाई। नरेन्द्र त्रिवेदी ने श्रीमती निधि भार्गव के सावन के दोहे सुनाये। नरेन्द्र भावसार एवं चन्द्रकला भावसार ने हास्य व्यंग की निमित्त कविता संवाद के माध्यम से सुनाई। कलीम शाह ने ‘‘रिश्तों की एहमियत रक्षा का सूत्र है राखी’’ सुनाई। सुधा कुर्मी ने ‘‘हे मुरलीधर छलिया मोहन,हम तुम्हें दिल दे बैठे’’ भजन सुनाया। दिलीप जोशी ने ‘‘बिना स्वार्थ का बंधन है रक्षा बंधन’’ कविता सुनाई। दीपिका किशोरी ने ‘‘सुमुखी सवैया छंद ‘‘शहीद जवान सलाम करें’’ सुनाया। राहुल राठौर ने ‘‘जीवन भर टुकड़ों टुकड़ों में जिया हूॅ’’ गजल सुनाई।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुईं। लोकेन्द्र पाण्डे ने गीत मेरी बहना ये राखी की लाज तेरा भईया निभाएगा’’ सुनाया। कार्यक्रम का संचालन नन्दकिशोर राठौर ने किया एवं आभार नरेन्द्र भावसार ने माना।