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कोई रचना कभी कोई फैसला नहीं देती : अश्विन कुमार दुबे के कहानी संग्रह "सफल प्रेम विवाह की असफल दाम्पत्य कथाएं " का विमोचन हुआ


कोई रचना कभी कोई फैसला नहीं देती : अश्विन कुमार दुबे के कहानी संग्रह "सफल प्रेम विवाह की असफल दाम्पत्य कथाएं " का विमोचन हुआ

इंदौर ।  विगत दो दशकों में कहानी और उपन्यास ने कईं अप्रत्याशित मोड़ लिए हैं यह भारतीय वाग्मय के लिए  अभूतपूर्व घटना है। ऐसे बदलाव के मध्य सदा  प्रासंगिक रहने वाले विषय पर आया यथार्थपरक  संग्रह हिंदी में कथा साहित्य के वर्चस्व की पैरवी करता है। हम सभी जानते हैं हिंदी में कथा साहित्य का बोल  बाला रहा तो कमलेश्वर ,मोहन राकेश ,राजेंद्र यादव धर्मवीर  भारती से लेकर से  मन्नू भंडारी और मालती जोशी तक  यह उनकी कहानियों की प्रासंगिकता का ही प्रभाव था। इस संग्रह की कहानियां भी  उसी यथार्थ के प्रासंगिकता की बानगी है।  

मुझे नहीं लगता कि संग्रह की  रचनाएं कोई  फैसला देती है बल्कि कोई भी  रचना कभी कोई फैसला नहीं देती ये कहानियां किसी अदालती फैंसले से बहुत बड़ी हैं। भारतीय परिवारों में जिस दिन विवाह की असफलता प्रेम की असफलता के रूप में  स्वीकार लिया जायेगा उस दिन विवाह विच्छेद जैसी  त्रासदी  समाप्त हो जाएगी। यह पूरी  तरह से मानसिक खुराक का मसला है ।  

 यह व्यक्तव्य अग्निधर्मा की संपादक एवं साहित्यकार डॉ शोभा जैन ने अश्विन कुमार दुबे के कहानी संग्रह "सफल प्रेम विवाह की असफल दाम्पत्य कथाएं " के विमोचन समारोह एवं चर्चा संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कही   । साहित्यकार अंतरा करवड़े ने पुस्तक पर विस्तार से चर्चा करते हुए प्रत्येक कहानी पर टिप्पणी की। कार्यक्रम की अध्यक्षता  सूर्यकांत नागर ने की  उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रेम, प्रेम विवाह, दाम्पत्य जीवन  पर विस्तार से  विभिन्न पहलुओं पर सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया। 

        क्षितिज साहित्य संस्था के बैनर तले संपन्न इस कार्यक्रम में संस्था से जुड़े साहित्यकार डॉ योगेंद्रनाथ शुक्ल, प्रभु त्रिवेदी, वसुधा गाडगिल, डॉ शोभा जैन एवं रश्मि चौधरी का उनके मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा घोषित सम्मान के लिए सम्मानित किया । सम्मानित किए जाने वाले साहित्यकारों के बारे में ज्योति जैन ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए सम्मान श्रृंखला का संचालन किया ।

इस अवसर पर शहर के संस्था अध्यक्ष सतीश राठी,ज्योति जैन, दीपक गिरकर, सुरेश रायकवार, देवेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रदीप नवीन, सदाशिव कौतुक, डॉ पुरुषोत्तम दुबे, किशन शर्मा कौशल, रघुराज स्वरूप माथुर और नगर के वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित रहे उपस्थित थे। महिलाओं की उपस्थिति इस कार्यक्रम में सर्वाधिक रही। कार्यक्रम का संचालन लेखिका रश्मि चौधरी ने किया । आभार संस्था के कोषाध्यक्ष सुरेश रायकवार ने माना।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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