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प्रणामिका ने बचपन से पर्यावरण संरक्षण के लिये पौधे लगाये जो वृक्ष बने - पॉकेट मनी से कोविड में निराश्रितों को भोजन कराया - प्रेरणा बनी


प्रणामिका ने बचपन से पर्यावरण संरक्षण के लिये  पौधे लगाये जो वृक्ष बने - पॉकेट मनी से कोविड में निराश्रितों को भोजन कराया - प्रेरणा बनी

दिवंगत पिता की यादों और मार्मिक भावों के सहारे "ऐशेज़ बिनीथ माई एंकलेट्स" कविता संग्रह रचना की

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । जिले के ग्राम संजीत की रहने वाली किशोरवय कु. प्रणामिका जैन एक प्रेरणा बन कर उभरी है , अपने पिता की आकस्मिक मृत्यु के बाद संवेदना को शब्दों के माध्यम से कविताओं में उतारा , हर भावों को प्रस्तुत करते हुए लेखन किया है । अब एक युवा कवयित्री और लेखिका है।  3 वर्ष की उम्र से पौध रोपण शुरू किया जो अब 14 वर्ष की उम्र में भी निरंतर है , वे कहती हैं यह आगे भी अवश्य ही करती रहूंगी क्योंकि पर्यावरण बचाने में सबसे बड़ा योगदान पौध रोपण ओर संरक्षण है ।

सुश्री प्रणामिका एक लेखिका है, जिसने दुःख की गूँज में अपनी आवाज़ पाई। इनकी किताब सिर्फ़ कविताओं का संग्रह नहीं है। यह इनके दिल का एक टुकड़ा है, जो इनके दिवंगत पिता श्री प्रदीप जैन की यादों से जुड़ा है, जो इनकी सबसे बड़ी प्रेरणा भी हैं।

प्रणामिका की पुस्तक "ऐशेज़ बिनीथ माई एंकलेट्स" की हर कविता उन जगहों से जन्मी है जहाँ प्रणामिका ने खुद को सबसे ज़्यादा अलग, सबसे ज़्यादा टूटा हुआ और सबसे ज़्यादा मानवीय महसूस किया। प्रणामिका कहती है, लिखना मेरे लिए दर्द के साथ बैठने का, भूलने की बजाय याद करने का तरीका बन गया। यह सिर्फ़ मेरी कहानी नहीं है - यह मेरे उन सभी रूपों को श्रद्धांजलि है जो बच गए।

प्रणामिका के कविताओं के संग्रह में :- इन शीर्षकों की कविताएं छोटी सी; आग से पैदा हुई, जब स्पॉटलाइट ने मेरा नाम पुकारा, वह केवल "छह" वर्ष की थी, जब तक वह चला नहीं गया, वह सन्नाटा जो उन्होंने कभी नहीं सुना, एक आखिरी बार, आपने कहा कि यह जीवन है... और यह घटित होता है, यह दोनों क्यों नहीं हो सकता?, क्या प्यार की कीमत थी?,  हमारा ब्रेकअप हो गया, वह आईना जिसमें उसने कभी नहीं देखा, हम अभी भी शांत कमरों में इंतज़ार करते हैं, वह भूल गई; मुझे याद आया, मैं वहीं इंतज़ार करता हूँ जहाँ उसने मुझे ख़त्म किया था, स्वर्ण धूल टूटा भरोसा, तुमसे प्यार करना पाप था, वह फिर भी उठ खड़ी हुई, वह सत्य जो कभी था ही नहीं, उसकी चुप्पी की कीमत, प्यार की सुर्खियाँ, वे जानते थे, अँधेरा, मुस्कान के लिए बेचा गया, वायरल लड़की, उसने यह सब किया, वह हर लड़की है, उसके सपने, उसकी लड़ाइयाँ, फिर भी मैं उठता हूँ, बेहतर अलविदा, उसका नकली चेहरा, उसने जो पंख पहने थे, आराम करने का समय, जब मैं मर जाऊंगा। साथ ही इनकी कुछ कविताएं शीर्षकविहीन भी है जो प्रभावित करती हैं ।

कविता संग्रह के साथ ही प्रणामिका ने 3 वर्ष की उम्र से ही पौधे लगाना प्रारंभ किया था। ये जब 3 वर्ष के थे तब इन्होंने शुरुआत में तीन पौधे लगाए। आज प्रणामिका की उम्र 14 वर्ष है, और अभी तक ये जनकल्याण सेवा केन्द्र संजीत, एसपी ऑफिस, कलेक्टर कार्यालय, जिला अस्पताल, कौशल्या धाम, निराश्रित विक्षिप्त महिला आश्रय ग्रह एवं पुनर्वास केन्द्र मंदसौर इत्यादि स्थानों पर 100 से अधिक पौधे लगाने का रिकॉर्ड स्थापित कर चुकी है। लगाए पौधे आकार लेकर वृद्धि कर रहे हैं । इन्होंने पर्यावरण बचाव के लिए भी अपना प्रेरक योगदान दिया है।  

प्रणामिका के अनुसार पौधे लगाना ही नहीं उन्हें बचाना भी है ।

महत्वपूर्ण है कि प्रणामिका जैन ने कोविड के दौरान अपनी पॉकेट मनी से बेसहारों को भोजन भी प्रदान किया। अनाथ बच्चों की काउंसलिंग भी की। निराश्रित विक्षिप्त महिला आश्रय ग्रह एवं पुनर्वास केन्द्र मंदसौर में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करती है। अपने जन्म दिवस को भी विशिष्ट रूप से अनाथ बच्चों, आश्रय गृह में निवासरत निराश्रित महिलाओं के साथ सेलिब्रेट करती हैं। वर्ष 2016 में दिल्ली में मॉडलिंग भी की, सबसे छोटी मॉडल बनकर प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया।

कलेक्टर श्रीमती अदिती गर्ग को प्रणामिका जैन ने "ऐशेज़ बिनीथ माई एंकलेट्स" पुस्तक भेट की। कलेक्टर ने बेहतरीन कविता संग्रह के लिए प्रणामिका जैन को बधाई और शुभकामनाएं प्रदान की। उन्होंने कहा कि आपका यह संघर्ष अन्य लोगों के लिए प्रेरणादाई है।

उल्लेखनीय है कि प्रणामिका निराश्रित एवं विक्षिप्त महिला आश्रय केंद्र संचालिका श्रीमती अनामिका जैन की सुपुत्री हैं । अनामिका जैन मंदसौर एवं संजीत में केंद्र व्यवस्थापन करती हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस अवसर पर 8 मार्च को ही प्रतिष्ठित रानी अवंतीबाई राज्य स्तरीय वीरता 2024 से सम्मानित किया गया है ।

अल्पआयु में ही प्रणामिका जैन ने पर्यावरण के साथ लेखन में भी श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया है । उनके प्रोत्साहन के लिये सामाजिक सार्वजनिक साहित्यिक क्षेत्र के गणमान्य जनों ने बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की है ।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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