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अनाथो के नाथ है काशी विश्वनाथ - पं. विनोद दुबे


 अनाथो के नाथ है काशी विश्वनाथ - पं. विनोद दुबे

श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में चल रहा है ज्योर्तिलिंग पूजन एवं अभिषेक 

इटारसी । श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में द्वादश पार्थिव ज्योर्तिलिंग का पूजन, अभिषेक एवं एक लाख रूद्रि निर्माण चल रहा है। जिसके तहत रविवार को काशी विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक मुख्य यजमान यतेंद्र नीतू दुबे ,रीतेश मालवीय, 
मनोज मनीषा डोनी,अर्जुन सविता कैथवास ने किया । 
मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे बताया कि यह प्राचीन तीर्थ स्थान वाराणसी कहलाता है। क्योंकि यह वारूणी और अस्सी नदियों का संगम स्थल है जो गंगाजी का मिलन केंद्र हैं। बनारस के अलावा इस नगरी का नाम काशी भी है। यहां पहले काश जाति के लोग रहते थें। 
उन्होंने कहा कि काशी नगरी मोक्ष का प्रकाश और ज्ञान दात्री है। यहां के निवासी किसी भी तीर्थ स्थान की यात्रा किए बिना ही मुक्ति के हकदार हो जाते है। काशी में जिनके प्राण जाते है उन्हें मोक्ष मिलता ही है। और यहां पर किए गए सत्कर्त कई कल्पों तक समाप्त नहीं होते है।
यहां देवता भी मृत्यु की कामना करते है वैसे तो बनारस में करीब 1500 मंदिर है लेकिन काशी के मंदिर में विश्वनाथ मंदिर का शिखर 100 फिट ऊँचा है।
हिंदू महारानी और होल्कर राजवंश की अद्वितीय प्रतिभा अहिल्यादेवी ने काशी विश्वनाथ मंदिर का कार्य पूर्ण कराया। काशी के बारे में कहा जाता है कि पूरी दुनिया प्रकृति विनाश में चली जावे लेकिन काशी बेची रहेगी।
काशी के संरक्षक का दायित्व काल भैरव और दंडपानी निरंतर निभा रहे है। मुस्लिम शासकों ने कई बार काशी को बर्बाद और तवाह करने का प्रयास किया उन्होंने कई धार्मिक स्थलों को हानि पहुंचाई लेकिन भक्तों ने काशी को फिर खड़ा कर दिया। काशी विश्वनाथ से प्रसन्न होकर महाराजा रंजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित कराया। काशी वेदकाल से ही ओजस्वी चली आ रही है। अंग्रेजो और मराठों के शासनकाल में बनारस का वैभव निरंतर बढ़ा। जैन और बौद्ध धर्मियों ने इस तीर्थ स्थान के वैभव को चार चांद लगा दिए। काशी के पवित्र स्थान की यात्रा कर भेट देने के लिये हिंदू श्रद्धालु यहां आते है। अनेक धार्मिक कार्य संपन्न करके वह स्वंय को धन्य मानते है इसके अलावा दुनिया के कई देशों के अनेक धर्मो के अनुयायी यहां आकर काशी विश्वनाथ के दर्शन करते है कई विदेशी भी मोक्ष पाने के लिये काशी में आते है। काशी क्षेत्र और विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग विश्व का मोक्ष पाने के लिए काशी में आते है। काशी क्षेत्र और विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग विश्व का अति पवित्र श्रद्धा स्थान है यहां का गंगोदत भू-लोक का अर्मत है काशी विश्वनाथ का ज्योर्तिलिंग दुनिया में अनूठा और अदभुत है काशी के समीप ही गंगा धनुष के आकार ही हुई है इसका वैभव वैदिक काल से चला आ रहा है। आयोजन में अभिषेक पूजन पं. सत्येन्द्र पांडेय एवं पं. पीयूष पांडये द्वारा प्रतिदिन कराया जा रहा है।
 
 
सोमवार को महाकाल ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप की पूजन एवं रूद्राभिषेक किया जायेगा।
देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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