सामयिक रचना ~ पर्व विशेष
हरतालिका तीज
पार्वती ने किया घोर तप,
हिमगिरि की छाया तले,
शिव को पाने को त्यागा सुख,
साधना की अग्नि जले।
न जल लिया, न अन्न चखा,
भक्ति में लगी रही,
शिव शंकर भी हुए प्रसन्न,
वर पाने की घड़ी सही।
हरतालिका तीज वो पर्व,
स्त्रियों की श्रद्धा का मान,
व्रत उपवास, कथा,
पूजा से मिलता है वरदान।
पति की दीर्घायु की कामना,
सौभाग्य का संबल बनती,
सती पार्वती की यह कथा,
नारी को शक्ति है देती।
निर्जला व्रत, रात्रि जागरण,
मन में शिव का ध्यान,
सच्चे मन से जो करे,
पाता है जीवन में कल्याण।
शिव-पार्वती से वर मिले,
प्रेम अटूट, न टूटे डोर,
हरतालिका तीज है राह,
जिससे खुले सौभाग्य का भोर।
- नरेंद्र कुमार त्रिवेदी मंदसौर
प्रस्तुति डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर
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काव्य