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काव्य : कोई अनमोल सी सौगात होती है दोस्ती -एस के कपूर "श्री हंस" , बरेली


 काव्य : 

कोई अनमोल सी सौगात होती है दोस्ती

।।विधा।।  मुक्तक।।


1

महोब्बत की  कड़ियाँ, कभी मत टूटने देना।

हाथ दोस्त का हाथों से,मत कभी छूटने देना।।

दोस्ती तो नियामत है,इस संसार में सबसे बड़ी।

मित्र को तुम वेवजह,यों ही मत रूठने देना।।

2

जिंदगी का रुख जरा कुछ,ऐसा मोड़ लीजिये।

शिकायत छोड़ कर,अपनापन   ओढ़ लीजिये।।

संबंध,रिश्ते ईश्वर  के, तो  उपहार हैं अनमोल।

एक पहला नियम,दोस्ती में स्वार्थ छोड़ दीजिये।।

3

दोस्ती में एहसान कभी, भी जताया नहीं जाता।

करके भला फिर उसको,    सुनाया  नहीं जाता।।

एक  और एक  मिल कर , ग्यारह  हो जाते  हैं।

इस बात को तो कभी, भी भुलाया नहीं जाता।।

4

जो समय पर काम आये,वह दोस्त सच्चा होता है।

छल कपट से कहीं दूर,वह  मन का बच्चा होता है।।

बारिश में भी आँख केआँसू,लेता है पहचान वह।

आँच न आने दे दोस्त पर,ऐसा वह अच्छा होता है।।


- एस के कपूर "श्री हंस" , बरेली


देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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