काव्य :
चुनाव मेरे शहर का..
डलिया भर भर लाए नेता,
सपने खूब दिखाने हमको!!
आसमान से तोड़ के लाए,
तारे आज दिखाने हमको!!
राम राज्य अब तुम्हे मिलेगा,
आए शीश झुकाने हमको!!
समाज वाद का लिए टोकरा,
सिर पर धरे लुभाने हमको!!
हाथ मिलाकर एक हुए हम,
रिश्ता नया बताने हमको!!
उतरेगा अब स्वर्ग जमीं पर,
आए दृश्य दिखाने हमको !!
तुम रिश्ते में चाचा मामा,
आए गले लगाने हमको!!
- सुरेश गुप्त ग्वालियरी
विंध्य नगर बैढ़न
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