आज के दौर में उपन्यास लिखना सबसे कठिन : राजेंद्र सिंह
लियाकत मंसूरी के तीसरे उपन्यास “छू लिया आसमां” का हुआ विमोचन
मेरठ। उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट (उपज) के तत्वावधान में कैंट क्षेत्र के पंडित दीनदयाल उपाध्याय मैनेजमेंट सभागार, माॅल रोड़ में लेखक एवं पत्रकार लियाकत मंसूरी के तीसरे उपन्यास “छू लिया आसमां” का विमोचन संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथिगणों द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। मंचासीन अतिथियों में राज्य सूचना आयुक्त राजेंद्र सिंह, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश कुमार त्यागी, वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा, शादाब रिजवी, नरेश उपध्याय, जगमोहन शाकाल, एडवोकेट रामकुमार शर्मा, उपज के जिलाध्यक्ष अजय चौधरी, संतराम पांडेय, ज्ञान प्रकाश, आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डा. संदीप जैन, कवि ईश्वर चंद गंभीर आदि रहें। सुव्यवस्थित संचालन सागर राज ने किया। इस दौरान सभी अतिथिगणों ने अपने विचार रखें। राज्य सूचना आयुक्त राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज के दौर में उपन्यास लिखना सबसे कठिन है, क्योंकि अब युवाजन पढ़ना नहीं चाहते, डिजीटल युग में पढ़ने और लिखने का शौक गुम सा होता जा रहा है। लियाकत मंसूरी हर साल एक उपन्यास लिख रहे हैं, वे बधाई के पात्र है, जिन्होंने ऐसे समय में नॉवेल लिखने का साहस किया। नरेश उपाध्याय ने वेद प्रकाश शर्मा का जिक्र किया कि कैसे उपन्यास लिखते समय लेखक पात्रों में खो जाता है और उसे ना समय का पता रहता है, और ना खाने का।
लेखन के लिए गहन योजना अब युवाओं के पास नहीं
वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा ने एआई के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि आज के समय में उपन्यास लिखना इसलिए कठिन है, क्योंकि गहन योजना, आकर्षक पात्रों का निर्माण, एक सुसंगत कथानक का विकास और एक लंबा, निर्बाध लेखन प्रक्रिया अब युवाओं के पास नहीं रही। एक सफल उपन्यास के लिए न केवल एक अच्छा विचार बल्कि, उसे प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए अत्यधिक दृढ़ता और निरंतर प्रयास की भी आवश्यकता होती है। लियाकत मंसूरी के अब तक प्रकाशित दोनों उपन्यास उन्होंने पढ़े हैं, उनकी लेखनी में वह असर है कि उपन्यास अगर पढ़ना शुरू किया तो अंत तक आप पढ़ते जाएंगे।
सोचने पर विवश कर देगा छू लिया आसमां
उपज के जिलाध्यक्ष अजय चौधरी ने बताया कि लियाकत मंसूरी का यह तीसरा उपन्यास है। अपने दो सुपरहिट रहे क्राइम थ्रिलर्स नॉवेल के बाद इस उपन्यास से हैट्रिक भी पूरी की है। 'छू लिया आसमां' 'मुझे उड़ने दो' का यह दूसरा भाग है। इसमें वे तमाम रहस्य है, जो पाठकों को बांधे रखेंगे। बहुत सारी गुत्थियां है, जो उलझाए रखेगी। प्रेम में उलझी ये कहानी आपको सोचने पर विवश कर देगी...आगे उन्होंने बताया कि वे स्थानीय मीडिया में सक्रिय हैं और सामाजिक मुद्दों, विशेष रूप से ऑनर किलिंग जैसी संवेदनशील घटनाओं पर अपनी कलम से जागरूकता फैलाते रहे हैं। मेरठ के निवासी होने के नाते, वे शहर की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों से भी जुड़े हुए हैं।
लियाकत मंसूरी के अब तक लिखे गए उपन्यास
"मुझे उड़ने दो": यह उपन्यास वेस्ट यूपी में ऑनर किलिंग (सम्मान हत्या) जैसी नृशंस घटनाओं पर आधारित है। यह सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और समाज के कलंक को उजागर करता है।
लेखक के बारे में : मेरठ लियाकत मंसूरी के कार्यों का केंद्र रहा है। उनके उपन्यासों में शहर की सामाजिक वास्तविकताएं झलकती हैं, जैसे ऑनर किलिंग की घटनाएं जो वेस्ट यूपी में आम हैं। वे मेरठ के साहित्यिक और पत्रकारिता कार्यक्रमों में अक्सर भाग लेते हैं।