काव्य :
गीत
हृदय मध्यप्रदेश
शस्य श्यामला भारत- धरती,
हृदय- मध्य प्रदेश।।
गौरव गाथा बड़ी निराली,
अनुपम सभी प्रदेश।
सतपुड़ा, विंध्य बने हैं रक्षक,
भरे खनिज के कोष।।
बहें ताप्ती, नर्मदा हितकर,
करें नित्य कल्याण।
शिप्रा की है अजब कहानी,
हरती सबके त्राण।।
भिन्न यहांँ की भाषाएंँ हैं,
भिन्न -भिन्न हैं वेश।।
उज्जैन ,भेड़ाघाट ,चित्रकूट,
सब ही बड़े प्रसिद्ध ।
सांची ,ओंकारेश्वर ,मांडू,
स्थल सभी हैं सिद्ध।।
बनी ओरछा राम की नगरी।
खजुराहो के नृत्य।
भेड़ाघाट ,पचमढ़ी दिखाये,
सदा रहा जो सत्य।।
लता , अहिल्या, रानी दुर्गावती
जिनसे बना विशेष।।
अलबेले त्यौहार मनाते,
मिलजुल रहते संग।
आल्हा उदल की सुन कहानी,
होते सभी हैं दंग।।
भाषा, संस्कृति बनी धरोहर,
जिससे है पहचान।।
पर्यटन के भी सुंदर स्थल,
जिनसे मिलता मान।
अभ्यारण्य भी बने निराले सुखद सभी परिवेश।।
शस्य श्यामला भरत धरती
हृदय मध्यप्रदेश।।
- श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना , भोपाल
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