काव्य :
निः शब्द प्रेम की परिभाषा
ह्रदयस्थल में जागृत,
प्रेम की बयार ।
नग्न चक्षु से दृश्यपटल पर,
अनुभूति की बहार।
जो भिगा दे मन को ,
वह वर्षा की फुहार ।
जीवन में अमृत भर दे,
वह पीयूष की धार ।
सख्त हृदय को को पिघला दे ,
अग्नि की वह धार ।
बिन कुछ कहे सबकुछ कह दे ,
ऐसे शब्दों की कटार ।
मिष्ठी वाणी से रस घोले ,
ऐसा है प्रेम रसदार।
खुशियों से जीवन को भर दे,
मेरे जीवन का आधार ।
-प्रतिभा दिनेश कर
विकासखंड सरायपाली
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