प्रभात साहित्य परिषद,भोपाल की काव्य गोष्ठी संपन्न
भोपाल । राजधानी की चर्चित संस्था प्रभात साहित्य परिषद द्वारा *पिछले कई दिनों से* विषय पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन के नरेश मेहता कक्ष में गीतकार अशोक निर्मल की अध्यक्षता में एवं वरिष्ठ साहित्यकार बलराम गुमाश्ता के मुख्य आतिथ्य में तथा वरिष्ठ कवि उमेश तिवारी "आरोही " के विशेष आतिथ्य में एवं लखनऊ के वरिष्ठ शायर खालिद हुसैन सिद्दीकी के सारस्वत आतिथ्य में तथा डॉ. अनिल शर्मा "मयंक " के संचालन में किया गया.
सरस्वती वन्दना के उपरान्त प्रदीप कश्यप ने पढ़ा "छाया कोहरा है पिछले कई दिनों से. सूरज सहमा है पिछले कई दिनों से " वहीं प्रतिभा द्विवेदी ने पढ़ा " पिछले कई दिनों से कुछ ऐसा चल रहा है. लगता है मुट्ठीयों से सब कुछ फिसल रहा है." वहीं रमेश नन्द ने पढ़ा " मेसेज है न कुछ खत पिछले कई दिनों से. तड़पा रही है हसरत पिछले कई दिनों से. " वहीं डॉ.अनिल शर्मा "मयंक " ने पढ़ा " ये लाड़ली तुम्हारी कुछ वीरता के किस्से, सबको सुना रही है पिछले कई दिनों से. " वहीं हीरालाल पारस ने पढ़ा "पिछले कई दिनों से मैं कहीं खोया नहीं बस अपने भीतर रुक गया हूँ. " वहीं उमेश तिवारी "आरोही " ने पढ़ा " आये न संदेश पिछले कई दिनों से. मन में उठे अंदेश पिछले कई दिनों से. " वहीं चरणजीत सिंह कुकरेजा ने पढ़ा " पिछले कई दिनों से तेरी याद सताती है. लगता है जैसे रूह मेरी तुझे पास बुलाती है. वहीं प्रेमचन्द गुप्ता ने पढ़ा बरसे नहीं ये बादल पिछले कई दिनों से. भीगा नहीं ये आँचल पिछले कई दिनों से " इनके अलावा सुरेश नारायण शर्मा, साजिद हाशमी, अजीम असर आबिद काजमी डॉ सीमा अग्रवाल कमल सिंह कमल नीरज दुबे खालिदा सुल्ताना कुसुम श्रीवास्तव मंजु मिश्रा शोभा जोशी अखिलेश लोधी आदि ने भाग लिया. अन्त में रमेश नन्द ने सभी का आभार व्यक्त किया.
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