ad

काव्य : सरकारी हवाबाजी - राम वल्लभ गुप्त "इंदौरी"


 काव्य : 

सरकारी हवाबाजी


आसमां पे इंडिगो 

और जमीं पर हम 

कभी ना भूल पाएंगे 

ये दर्द कम से कम ‌


ये एक दुखद घटना 

दो पखवाड़े बाद भी

अभी भी महा निद्रा

में सरकारी  संशचेतना


यूं तो देश में लोकतंत्र  है 

या कहें सच्चा भेड़ तंत्र है

जैसा जो हांकना चाहे 

सभी के सभी स्वतंत्र है 


आपदा में ही अवसर 

झुठला नहीं सकते इसे 

इंडिगो लूटता रहा बराबर 

सरकार को नहीं इसकी खबर 


5 हजार की जगह वसूला 

50000 हजार 

फिर भी बने बड़े ईमानदार

ये देश के सच्चे साहू कार 


रेशम के गद्दों पर सोने वालों 

कार- घर में एसी में चलनेवालों

आपको मिलता सब कुछ मुफ्त 

नेताजी न रहे  कभी अभावग्रस्त 


आज भी आम आदमी पेट बांधकर सोया है 

दवा इलाज के बिना उसने अपनों को खोया है 


यह हैअमीरों की औकात

युवा पीढ़ी को मिल रही कैसी सौगात 

अब तो जागो जनता आती है 

निकलो महलों से जनता जगाती है 

- राम वल्लभ गुप्त "इंदौरी"

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post