सात दिवसीय संगीतमय श्रीमदभागवत कथा का दूसरा दिन : साधु संतों का अपमान भारी पड़ता है: कथाव्यास राधा देवी
इटारसी। श्री वृंदावन गार्डन इटारसी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन गोवर्धन ब्रजभूमि से पधारी साध्वी राधा देवी ने राजा परीक्षित का चरित्र सुनाते हुए कहा कि परीक्षित को संत श्राप से सर्प ने डस लिया और सर्प डसने से उनकी मृत्यु हुई। साध्वी जी ने कहा कि भूल से भी साधु संतों का अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि साधु अपराध पर भगवान को भी क्षमा नहीं करते। फिर तो कोई सिद्ध संत ही कुछ रास्ता निकाल सकते हैं।
राजा परीक्षित बहुत बड़े धर्मात्मा और भगवान के परम भक्त होते हुए भी संत श्राप से नहीं बच पाए। एक बार परीक्षित जी वन भ्रमण को निकले उन्हें वहां प्यास लगी तो राजा समीक मुनि के आश्रम में पहुंचे वहां मुनि ध्यान में बैठे थे। राजा का किसी ने सत्कार नहीं किया। कलियुग के प्रभाव से राजा को क्रोध आया और राजा ने समिक मुनि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया और वहां से महल की ओर चले गए। उधर जब समिक मुनि के पुत्र श्रृंगी जो बड़े तपस्वी युवा अवस्था थे उन्होंने सब कुछ आश्रम के बारे में जाना तो उन्होंने तुरंत राजा को श्राप दे दिया कि यही सर्प आज से सातवें दिन राजा को डस लेगा और राजा की मृत्यु हो जाएगी। जब समिक मुनि को पता चला तो मुनि को बहुत कष्ट हुआ कि राजा तो बहुत धर्मात्मा है उन पर तो सोने का मुकुट पहनने के कारण कलियुग का प्रभाव था। तुरंत राजा परीक्षित को सूचना दी गई और उन्हें उस श्राप से बचने का उपाय भी बताया। जिससे उन्होंने शुकदेव मुनि को बुलाकर सात दिन उनसे श्री मद्भागवत की कथा सुनी और सातवें दिन राजा परीक्षित मोक्ष को प्राप्त हुए।
साध्वी जी ने कहा कि कभी भी साधु संतों का अपमान नहीं करना चाहिए। गुरुनानक ने भी संतों की महिमा को बहुत गाया है उन्होंने कहा है कि अगर भजन नहीं हो पाता है तो संत सेवा कर लीजिए जरूर कल्याण हो जाएगा।
आयोजक समिति के सदस्य जसवीर सिंह छाबड़ा ने कहा कि प्रतिदिन कथा का समय दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा। समस्त धार्मिक अनुष्ठान वृंदावन गार्डन, इटारसी में संपन्न होंगे। श्री छाबड़ा के अनुसार, इस आयोजन का उद्देश्य क्षेत्र में धार्मिक वातावरण को बढ़ावा देना और समाज में शांति व सद्भाव का संदेश फैलाना है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वृंदावन गार्डन में व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
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