वर्तमान तीस चौबीसी में श्री जी की स्थापना कर करें असीम पुण्य का संचय - मुनि सुव्रत सागर
सिद्ध चक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन किये 128 अर्घ समर्पित
तालबेहट (ललितपुर) बुंदेलखंड के प्रसिद्ध दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पावागिरि में आचार्य प्रवर विद्यासागर महाराज के मंगलमय आशीर्वाद, नवाचार्य समय सागर महाराज की पावन प्रेरणा और वात्सल्य मूर्ति बुंदेली संत मुनि सुव्रत सागर महाराज के मंगल सानिध्य से आयोजित सिद्धचक्र महामंडल विधान में विशुद्धि पूर्वक सिद्धों की आराधना की जा रही है। पांचवे दिन सुबह पं. महेंद्र कुमार जैन शास्त्री के निर्देशन में अभिषेक शांतिधारा पूजन विधान के उपरांत सिद्धों की आराधना कर विधान में नीलेश जैन बांदरी ओमकार म्यूजिकल ग्रुप की संगीतमय धार्मिक धुनों पर श्रद्धांलुओं ने नृत्यमय भक्ति की एवं भक्तिभाव से 128 अर्घ समर्पित किये। मंगलाचरण आराध्या जैन ने किया। प. विनोद कुमार जैन शास्त्री के नेतृत्व में चमत्कारी बाबा मूलनायक भगवान पारसनाथ स्वामी का कलशाभिषेक, शांतिधारा, मंगल आरती के बाद शान्तिनाथ महामंडल विधान किया। मुनि सुव्रत सागर महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा स्वर्णभद्रादि मुनिराजों की निर्वाण स्थली सिद्ध क्षेत्र पावागिरि का कण-कण पावन है, यहाँ जिनबिम्बों की स्थापना कराने से अतुलित पुण्य बंध होता है। अतः वर्तमान तीस चौबीसी में श्री जी की स्थापना कर असीम पुण्य का संचय का अवसर आया है, जिसका पंचकल्याणक 12 से 17 जनवरी 2026 तक होना है। रात्रि में शास्त्र प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गये। कार्यक्रम में अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन, मंत्री जयकुमार जैन, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद्र जैन, उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा, विधान पुण्यार्जक शशि सुभाषचंद्र जैन, निधि विकास जैन, प्रवृत्ति विपिन जैन, सरोज सुभाषचंद्र जैन विदिशा, धर्मेंद्र चौधरी, अमित जैन पिंटू, तरुण आरौन सहित सैंकड़ो श्रद्धालु मौजूद रहे। संचालन ज्ञानचंद जैन बबीना एवं आभार व्यक्त विशाल जैन पवा ने किया।
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