जिंदगी, मृत्यु से सदा हारी है ! पर कर्मों से जो जीता वह अटल बिहारी है !!
कवियों ने मनाया कवि अटल का जन्म दिवस
छिन्दवाड़ा । भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय कवि अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती पर जिले के आल राउंडर कवि रत्नाकर रतन की अध्यक्षता तथा स्वामी विवेकानंद स्मारक समिति के अध्यक्ष अंशुल शुक्ला के मुख्य आतिथ्य में मानसरोवर छिंदवाड़ा में काव्य निशा का आयोजन किया गया ! कार्यक्रम का प्रारंभिक संचालन कवि विशाल शुक्ल ने तथा काव्य निशा का संचालन वरिष्ठ कवि नेमिचंद व्योम ने किया ! कार्यक्रम का आगाज कवयित्री अनुराधा तिवारी द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वन्दना से हुआ !
कवि शशांक पारसे ”पुष्प” ने अपनी रचनाओं के साथ जीवन का अर्थ बताया..
“ जिंदगी है इसीलिए जिए जा रहा हूं मैं
जब कुछ हासिल हो मुझे
इतना भी तलबगार नहीं हूं मैं
दूसरों की अमानत जो हूं मैं
खुद पर ही खुद खर्च हो जाऊं
इतना खुदगर्ज टीलों नहीं हूं मैं”
हरिओम माहोरे “अर्पण” ने अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मठता को कविता में पिरोया…
“राजनीति तेज पुंज, मृगंध अमर कुंज
शब्दों के चितेरे विज्ञाता है अटल जी
हे हिंद के सुकुमार वाणी की तुम पुकार
जग आपको शीश नवाता है अटल जी”
व्यंग के चितेरे कवि अनिल ताम्रकार “प्यासा” ने वर्तमान परिवेश पर कलम चलाई…
“जब भी सच कहने से मैं डरने लगता हूं
घुटने लगता है दम और मरने लगता हूं
कोई तो है जो मुझको देखा करता है
डर जाता हूं जब गुनाह करने लगता हूं”
कवियत्री अनुराधा तिवारी ने अटल जी के व्यक्तित्व को शब्दों में उकेरा …
“जिनके संयम साहस के आगे झुकता जग सारा है आदर्श का ध्वज वाहक भारत का गौरव प्यारा है राजनीति की कीचड़ में पंकज सा पावन पुष्प रहा
नव मंडल में आलोकित वह एक अटल ध्रुव तारा है”
कवि सतीश विश्वकर्मा “आनंद” ने अपनी कविता से अटल बिहारी बाजपेयी का गौरव गान किया…
“तुम्हारी प्रीत में हमदम में तुम पर गीत लिखूंगा मैं खुद को प्यार और तुमको हमारी प्रीत लिखूंगा
तुम्हारी हार अब से ए सनम बस हार मेरी हो
तुम्हारी जीत को जानम मै अपनी जीत लिखूंगा”
आकाशवाणी छिंदवाड़ा के पूर्व उद्घोषक कवि अवधेश तिवारी ने असतो मा सद्गमय का पद्यानुवाद किया
“असत नहीं हम चलें सत्य पर ऐसा निर्मल मन दो
तिमिर नहीं आलोक हमें दो मृत्यु नहीं जीवन दो”
संस्कृत भाषा पर गहरी पैठ रखने वाले वरिष्ठ कवि नेमिचंद “व्योम” ने पढ़ा…
“इस तरह छोड़कर तन्हा हमें ए मीत जाओगे
इसी सदमें से टूटे हैं ये सारे तार वीणा के”
कवि विशाल शुक्ल ने अटल बिहारी वाजपेयी के संस्मरण सुनाते हुए अपनी कविता उनके नाम की…
“मृत्यु है…शाश्वत, सत्य, अटल !
सामना करते रहे “अटल” !!
जिंदगी, मृत्यु से सदा हारी है !
पर कर्मों से जो जीता वह अटल बिहारी है !!”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि युवा अधिवक्ता, विचारक व समाज सेवी अंशुल शुक्ला ने भाषाओं के महत्व और उन्हें सुरक्षित रखने और सहेजने में कवियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला श्री शुक्ला ने बंगला देश की हिंसक घटनाओं पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि “साहित्यकारों के विचारों की आज देश को महती आवश्यकता है ये देश के युवाओं की दिशा ओर दशा तय करेंगे!”
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष ऑलराउंडर कवि रत्नाकर रतन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ कवि अटल बिहारी बाजपेयी के कृतित्व को प्रस्तुत किया…
“मुझको मेरी गंगा का नीर चाहिए
दिल में उठती हुई एक पीर चाहिए
अगर वतन की आबरू बचाना है
तो हर हाथों में अटल की तस्वीर चाहिए”
कवि रामलाल सराठे “रश्मि” की हाल ही में प्रकाशित काव्य कृति “आह्वान” की प्रति लेखक द्वारा स्वयं अपने हाथों से कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंशुल शुक्ला को भेंट की गई !
.jpg)
