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काव्य : पेड़ : तीन संदर्भ - डॉ. विपिन पवार


 काव्य : 

पेड़ : तीन संदर्भ

- डॉ. विपिन पवार 


--एक-- 

हम पेड़ क्‍यो न हुए ? 

कम से कम 

सीधे तो खड़े होते, 

न सुख की चिंता 

न दु:ख की, 

न नौकरी की तलाश

न बीबी न बच्‍चें, 

और न ही मृत्‍यु का भय 

जीवन भर सुख से रहते,

मनुष्‍य जीवन भर 

हमसे जलता 

और हम उसे 

मृत्‍योपरांत भी जलाते  । 


--दो—

राह चलते-चलते 

जब कभी 

थक जाओ,

तो किसी पेड़ की 

घनी, शीतल और शांत 

छाया तलाशो, 

और राह में 

कोई पेड़ न मिलें,

तो ?

तब तक चलते रहो, 

जब तक 

तुम्‍हारे पैर 

पेड़ न हो जाए । 


--तीन—

हम पेड़ भी हुए 

तो नागफनी

और कैक्‍टस के, 

न मनुष्‍य हमें 

गमलों में सजाकर 

अपने ड्राइंगरूम की 

शोभा बढ़ाता है, 

न छाया, न फल 

सुन्‍दरियां हमारे फूलों को 

बालों में नहीं लगाती, 

न हम देवों के 

चरणों में चढ़ाए जाते हैं,  

प्रेमिकाएं हमारी सुगंध 

से विभोर नहीं होती, 

मरने पर भी मनुष्‍य 

हमें नहीं स्‍वीकारता, 

इससे अच्‍छा तो 

हम मुनष्‍य ही बने रहते ।

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पुणे ( महाराष्ट्र )

संपर्क - 8850781397

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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