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MCU में एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने पढ़े रोचक शोध पत्र


 

MCU में एआई पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने पढ़े रोचक शोध पत्र 

-एआई ने विज्ञापन की दुनिया को दिलचस्प बना दिया है मगर खतरे पर भी रखना होगी नज़र 

-200 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गए, सब एक से बढ़कर 

-एआई ने शब्द और दृश्य दोनों को ताकत दी है लेकिन सावधान भी रहना होगा

इंदौर । माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विज्ञापन और जनसंपर्क विभाग द्वारा दो दिवसीय मेगा इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 8 और 9 दिसंबर को सफलतापूर्वक संपन्न हुई. विज्ञापन और जनसंपर्क के साथ हमारी पूरी दुनिया में हो रहे आश्चर्यजनक बदलाव और आधुनिकता की बयार को लेकर बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने शोध पढ़े. 

इन प्रतिभागियों में देश-विदेश के तकरीबन 200 विशेषज्ञ, शिक्षाविद्‌,पैनी पैठ के चिंतक,रिसर्च स्कॉलर्स,और विद्यार्थी शामिल हुए और सभी ने नए विषयों,नए मुद्दों और प्रभावशाली प्रस्तुतियों से ध्यान आकर्षित किया. दो दिवसीय आयोजन को 16 सत्रों में विभाजित किया गया और ऑनलाइन-ऑफलाइन समानांतर सत्रों के साथ सभी को धैर्यपूर्वक सुना गया. 

विश्वविद्यालय के अतिथि व्याख्याता व नियमित प्राध्यापकों के साथ छात्रों ने भी इस आयोजन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इस कॉन्फ्रेंस में देश के विविध शासकीय अशासकीय विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों ने भी एक मंच पर आकर कॉन्फ्रेंस की गरिमा बढ़ाई.

अधिकांश शोधार्थियों ने सकारात्मक सोच और एप्रोच के साथ अपने पेपर प्रेजेंट किए. फैशन, बैंक,कुंभ मेला,ट्रेफिक मैनेजमेंट,डिजिटल स्टोरी टेलिंग,एआई निर्मित एनिमेशन फिल्म से लेकर स्मार्ट स्टोरी टेलिंग,ग्रीन मार्केटिंग और ओटीटी पर फिल्म प्रचार में एआई की भूमिका जैसे आकर्षक विषयों के साथ शोध पढ़े गए.

वहीं कुछ प्रतिभागियों ने एआई के संभावित खतरों पर भी चिंता व्यक्त की और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के समाधान भी बताए. जनसंपर्क और विज्ञापन की दुनिया के बदलते रंगों पर भी रोशनी डाली गई और नित नए स्वरूप में आ रहे अल्गोरिदम पर भी नज़र रखी गई.

कहीं किसी सत्र में सवाल उठा कि कहीं एआई ने भाषा के साथ खेलते हुए खुद की कोई भाषा बना ली तो क्या होगा? कहीं इस बात पर चिंतन हुआ कि एआई मानव व्यवहार का अध्ययन करे वहाँ तक तो ठीक है पर मानवीय व्यवहार को अपने ही तरीके से प्रभावित न करने लग जाए.

किसी प्रतिभागी की चिंता थी कि अगर एआई हमारा भविष्य है तो क्यों आज भी लोग उस पर भरोसा नहीं कर रहे हैं? वहीं यह प्रश्न भी आया कि जनसंपर्क अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एआई का बेहतर इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं? 

ऑनलाइन सत्र में प्रो.मनीष वर्मा(स्कूल ऑफ क्रिएटिव आर्ट्स,बहरीन पॉलिटेक्निक,बहरीन) ने बताया कि एआई किस तरह से मीडिया एनवॉयरमेंट को हमारी सोच से कहीं ज्यादा सुंदर और सरल आकार दे रहा है.उन्होंने बताया कि वर्ष 2030 तक हमारा विजन क्या होगा और बदलते परिदृश्य में किन खास स्किल्स की जरुरत होगी. एआई ने शब्द और दृश्य दोनों को ताकत दी है पर हमें सतर्क भी रहना होगा कि यह ताकत हम पर उलट कर हावी न हो जाए. उन्होंने प्रतिभागियों को कई आवश्यक नए मॉर्डन टूल्स की जानकारी भी दी.

विशेषज्ञ के रूप में शामिल डॉ. सर्गेई सैमोइलैंको(जार्ज मैसन यूनिवर्सिटी, अमेरिका),प्रो.डॉ. निर्मलमणि अधिकारी,( काठमांडू विश्वविद्यालय,नेपाल) और श्री विनोद नागर(संस्थापक,सीबीएमडी,एआई) के शोध पत्र सराहनीय रहे.

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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