जिंदगी धूप तुम घनी छाया
जिंदगी तुम धूप हो ,कभी छांव हो,लौटती हो, पहुंचाती हो कभी, वहां जैसे मनचाहा गांव हो,कभी मां का आशीष भरा,आश्रय,अवलंबन देता आंचल हो,कभी काले,अंधियारा पैदा करते बादल सी हो।
वहीं बादल कभी सुकून भरी ,बहुप्रतीक्षित बारिश ले आते है,मन की धरती को कष्टों की लू से बचाते हैं,कभी करुणा और दयालुता की नमी से भर जाते हैं।
जिंदगी के विविध रूप दिए ईश्वर ने,परीक्षा की कड़ी धूप भी हैं,अपने कर्म से,धैर्य से,और दृढ़ इच्छा शक्ति से,इस परीक्षा में सफल हो, सुख,शान्ति,सम्पन्नता,समृद्धि, सुस्वास्थ्य की फसलें काट पाते हैं,तो कभी दुर्भाग्य कहें कि,ऐसा नहीं भी हो पाता है।
मन को सहज रख,जिंदगी जो दिखाती है,जो देती है,जो छीनती है,सभी कुछ हमें स्वीकार करना चाहिए,अंगीकार करना चाहिए,हर स्थिति,परिस्थिति में जीवन को प्यार करना चाहिए।
ईश्वर का दिया हुआ वरदान है जिंदगी में केवल सुख मिलें तो हम सुख की महत्ता नहीं समझ पाते,जब जीवन में दुख आते हैं,उनसे लड़ते,जूझते हैं हम,और फिर उनसे उबरते हैं,तभी सुख का महत्व समझ पाते हैं,सुख और दुख की स्वादिष्ट चटनी सी है,जिंदगी।
इसका स्वाद लेने में ही जिंदगी है,जीवंतता है। धूप छांव सी जिंदगी में कई पड़ाव आएंगे ही,इसे सहज हो जिसने जिया,समझें उसने ही जीवन का अमृत घूंट पिया।
कुछ गीत याद आ रहे है,
जिंदगी हंसने गाने के लिए है पल ,दो पल,
और गाए जा गीत मिलन के,तू अपनी लगन के,सजन घर जाना है।
जिन्दगी को गाते चलें,दिल लगाते चलें, इसकी धूप को सहज हो समेट लें,सुकून की छाया को मन में रखते हुए ये यात्रा, जीने में ही जीवन की सार्थकता है,चलें खुश हो कहें, जिंदगी धूप तुम घनी छाया।
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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