काव्य :
राष्ट्र गौरव अटल जी के जन्मदिन, सुशासन दिवस पर,
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परमाणुशक्ति सम्पन्न करा
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- इंजी. अरुण कुमार जैन
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अपनी भाषा, अपनी धरती, अपना स्वाभिमान,
माँ का मान बढ़ाने वाले, राजर्षि तुम्हें प्रणाम.
नगर ग्वालियर जन्म लिया
काव्य,राष्ट्र पहिचान,
कानपुर को गौरव देकर, पाया सम्यक ज्ञान.
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राष्ट्र प्रेम था रोम रोम में,
हिंदी, हिन्दू पहिचान,
भारत भू के जन गण के हित,अर्पित थे प्रण प्राण.
कारावास यंत्रणा भोगी,
किंचित न घबराये,
देश प्रेम हित कार्य सभी थे
पल, क्षण बढ़ते आये.
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संयुक्त राष्ट्र में गूंजी हिंदी,
इक नव गौरव पाया,
अखिल विश्व ने मंत्रमुग्ध हो
हिंदी का यश गाया.
किया राष्ट्र नेतृत्व श्रेष्ठ,
नये शिखर तक लाये,
परमाणु शक्ति सम्पन्न करा,
इतिहास नया रच पाये.
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नहीं डरे जग आकाओं से, स्वाभिमान सिखलाया,
स्वर्णिम चतुर्भुज बनवाकर
सबको सतत बढ़ाया.
ओजस्वी वाणी सुनकर के,
प्रेरक जन- जन होते,
अंतर्मन को कविता छूती,
अहलादित सब होते.
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दसवें राष्ट्र प्रधान देश के, 'भारत रत्न 'का गौरव,
अखिल विश्व केअनुरागी थे
पावन सुरभि सौरभ.
जन्मदिवस पावन अवसर पर, वंदन, नमन स्वीकारें.
सुशासन के दिव्य प्रणेता,
हम सब गुण अपनाएं.
कृतज्ञ राष्ट्र करता है वंदन,
सतत प्रेरणा पाएं,
हर युग अटल रहें वसुधा पर,नित प्रति पथ दर्शाएं.
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संपर्क// अमृता हॉस्पिटल, सेक्टर 88,फ़रीदाबाद,
हरियाणा, मो.
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