ad

स्मृति शेष - ♦️ मालवांचल की पत्रकारिता के " प्रकाश " का महाप्रयाण - वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल , मंदसौर


 

स्मृति शेष - ♦️

मालवांचल की पत्रकारिता के " प्रकाश " का महाप्रयाण

    जब हमारी रूचि लेखन और पत्रकारिता में बढ़ी तब अंचल की हिंदी पत्रकारिता में स्थापित नाम नई विधा , ध्वज , दशपुर दर्शन , कीर्तिमान , सीमा संगम आदि के ही थे । सत्तर के दशक में पितृ पुरूष पंडित शिवनारायण गौड़ , स्वतंत्रता सेनानी श्री राजमल लोढ़ा के निर्देशन और नेतृत्व में आंचलिक पत्रकारिता को धार मिली , आधार मिला , ओर यह उत्तरोत्तर प्रगति के साथ जनमानस से सीधे जुड़ते चले गए और भोपाल से लेकर दिल्ली तक सम्मान के साथ पहचाने गए ।

सामाजिक हितों की बात हो या सार्वजनिक संदर्भ हो , तत्कालिक मुद्दे हों या दूरदर्शी मसला , राजनीतिक प्रतिबद्धता हो या विपक्ष के स्वर , प्रशासनिक नीतिगत सफलता हो या विफलता , कृषि क्षेत्र हो या पर्यावरण संरक्षण , सीआरपीएफ की बात हो या अफ़ीम उत्पादकों की समस्या , कला की चर्चा हो या साहित्य की , आमजन की बुनियादी समस्याओं को उठाना हो या उपयुक्त समाधान का विमर्श , हर वर्ग - हर धर्म - हर पीड़ित और शोषित को मुखरित होकर स्वर दिया है ,

"नईविधा "समाचार पत्र ने ।

नईविधा ने केवल नीमच - मंदसौर ही नहीं अपितु सीमावर्ती राजस्थान के निम्बाहेड़ा - चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है ।

कहा जासकता है कि प्रदेश की हिंदी पत्रकारिता में इंदौर के अखबार नईदुनिया का नाम रहा वही सम्मान मालवांचल में नईविधा ने अर्जित किया ।

इन सबके पीछे पंडित श्री शिवनारायण गौड़ , श्री प्रकाश मानव और श्री प्रेमप्रकाश जैन का योगदान रहा है ।

वैसे तो जैन ही अपने आप में अहिंसा का पर्याय माना जाता है पर उसपर भी पंडित श्री गौड़ ने "प्रकाश "को "मानव " उपनाम से अलंकृत कर नई दिशा ही दे दी । कोई तीन दशकों से भी अधिक समय से नईविधा परिवार से पत्रकारिता के साथ पारिवारिक संबंध जुड़े होने से आज बड़ी रिक्तता का एहसास होरहा है ।

श्री प्रकाश मानव शुचितापूर्ण व्यक्तित्व के धनी रहे और जीवन पर्यन्त स्वयं निर्वहन किया । पत्रकारिता ही नहीं अपने व्यक्तित्व , कृतित्व और व्यवहार से सामाजिक एवं सार्वजनिक जीवन में भी ऊंचाई प्राप्त की , सम्मान प्राप्त किया । जो प्रेरणा प्रदान करता है ।

स्मरण आता है जब मंदसौर में दो दिवसीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रांतीय अधिवेशन अध्यक्ष श्री मायाराम सुरजन की सदारत में अक्टूबर 1987 में अग्रवाल धर्मशाला बस स्टैंड पर आयोजित हुआ था । श्री प्रकाश मानव , श्री बालकवि बैरागी , श्री मंगल मेहता , श्री अर्जुन लाल नरेला , पंडित मदनलाल जोशी , श्री मोतीलाल शर्मा , श्री पूरण सहगल , पंडित मदनकुमार चौबे , श्री प्रमोद रामावत , श्री नरेंद्रसिंह सिपानी , श्री महेशप्रसाद मिश्रा , श्री विक्रम विद्यार्थी , श्री ब्रजेश जोशी आदि कई प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार , संपादक , लेखकों साहित्यकारों , कवियों, के साथ लेखक भी शामिल हुआ था । तब श्री बैरागी जी ने नई विधा में साहित्य को स्थान देने का विशेष उल्लेख किया था  ।

लेखक ( डॉ बटवाल ) को राज्य स्तरीय , राष्ट्रीय , संभाग और जिला स्तरीय पत्रकारिता सम्मान तो मिले पर पहला सम्मान और प्रोत्साहन नीमच से ही मिला जो आजतक प्रेरित कर रहा है । चूंकि लेखक की प्राथमिक शिक्षा नीमच के नूतन विद्यालय में हुई तब दादाजी श्री लक्ष्मीनारायण बटवाल जिला अफ़ीम अधिकारी पदस्थ थे । कालू राम सैनी कप्तान , नॉटी ,मदनसिंह , जफरुल्ला , राजू अहीर आदि से फुटबॉल सीखा ।

ऐसा ही एक विशेष प्रसंग है जब 12 मार्च 1994 को नीमच में हुई पत्रकारों - संपादकों की मासिक बैठक में पितृ पुरूष पंडित शिवनारायण गौड़  की अध्यक्षता में मंदसौर के पत्रकार साथी लेखक ( डॉ घनश्याम बटवाल ) को सम्मानित किया । 

पंडित श्री गौड़ ने कहा कि पत्रकार को दायित्व के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़कर कार्य करना चाहिए । मंदसौर के डॉ बटवाल के नेतृत्व में नशामुक्ति को आंदोलन का रूप देकर जागरूकता रैली निकाली गई ,समाज के सभी वर्ग को जोड़ते हुए तत्कालीन कलेक्टर रामसिंह ठोलिया ने समर्थन करते हुए मंच से संबोधित किया । यह पत्रकारों की समाज के प्रति जिम्मेदारी दर्शाता है । 

नीमच में पत्रकार सम्मान की इस बैठक में जनसंपर्क अधिकारी रामसिंह मीणा , प्रेमप्रकाश जैन , आर वी गोयल , मोतीलाल शर्मा , गोपाल खंडेलवाल , सुरेंद्र सेठी , सुभाष ओझा , जिनेन्द्र सुराणा ,भूपेंद्र गौड़ , नंदकिशोर शर्मा  , शौकीन जैन , हरचरण अहीर , अम्बालाल शर्मा , वरूण खंडेलवाल , ललित शर्मा , सहित 28 से अधिक पत्रकार - संपादक उपस्थित थे ।

यही नहीं इसके बाद नई विधा कार्यालय ज्ञानोदय प्रेस पर श्री प्रकाश मानव ने लेखक (पत्रकार डॉ बटवाल ) का स्वागत किया और सहयोग का विश्वास दिलाया ।

नई विधा प्रकाशन की स्वर्ण जयंती अवसर पर आयोजित विशेष समारोह में अंतरराष्ट्रीय विद्वान , लेखक पत्रकार डॉ वेदप्रताप वैदिक एवं गणमान्य की उपस्थिति में पांच दशकों की यात्रा के साथियों को याद किया , संवाद हुआ और सामुहिक सहभोज हुआ । श्री प्रकाश जी से तब भी मिलना हुआ , संवाद हुआ बीती बातें ताज़ा यादें साझा की ।

चर्चा में उन्होंने स्पष्ट किया कि दैनंदिनी अखबार कामकाज श्री राजेश मानव और पौत्र श्री सुयोग मानव ही संभाल रहे हैं । उन्होंने यह भी कहा कि हमेशा की तरह आप नईविधा के लिए क़लम का योगदान करते रहें ।

आज जब अग्रज पत्रकार - संपादक श्री प्रकाश जी भौतिक रूप में नहीं हैं पर उनके गरिमामय और शुचितापूर्ण व्यक्तित्व की कमी महसूस होरही है ।

नीमच जब भी अवसर मिलता प्रत्यक्ष अथवा दूरभाष पर सम्पर्क अवश्य होता ।

अग्रणी पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर श्री प्रकाश जी का जाना मालवांचल की हिंदी पत्रकारिता , कला , साहित्य की बड़ी क्षति है वहीं एक जागरूक नेतृत्व कर्ता की कमी भी है । इस शोक की घड़ी में उनकी स्मृतियों को याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ।

व्यक्ति रहे न रहे पर उनके व्यक्तित्व की सुगंध सदैव वातावरण को सुगंधित करती रहती है । आज श्री मानव जी नहीं हैं पर उनके व्यक्तित्व का 

" प्रकाश " हम सबको और नईविधा को सदैव आलोकित करता रहेगा ।


- वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल , मंदसौर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post