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राज्य आनंद संस्थान ने मित्रता दिवस का महत्व बताया


राज्य आनंद संस्थान ने मित्रता दिवस का महत्व बताया

 इटारसी ।अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस के उपलक्ष में राज्य आनंद संस्थान के द्वारा जिला नर्मदापुरम में महिलाओं के साथ इस दिवस को मनाया गया | 

इस दिवस  के बारे में सुमन सिंह ने महिलाओं को इस दिवस का महत्व बताते हुए कहा कि समय के साथ हम महिलाएं अक्सर अपने परिवार में व्यस्त होने के बाद अपनी स्कूल, कॉलेज समय की सहेलियों को नज़र अंदाज़ करने लगते है,  उनको भूलने लगते है| हम समय की मार झेल रहे होते है, परेशान भी हो रहे होते है लेकिन फिर भी हमारा ध्यान उस रिश्ते की ओर नहीं जाता जो हमको ख़ुशी दे सकती है, हमारे बोझ को हमारी बात सुनकर हल्का कर सकती है और ऐसा इसलिए भी होता है क्यूंकि हम महिलाये शादी के बाद अपने  नये परिवार में जाकर उनकी जिम्मेदारी में खो ही जाते है और अपना पुराने अस्तित्व को याद ही नही करना  चाहते तबकि जिंदगी में आनंद के लिए एक अच्छे और सच्चे दोस्त का होना बहुत जरूरी है|  आज की भाग दौड़ वाली जिंदगी मे  एक सही दोस्त, सही साथी हमारी जिंदगी को एक नई ऊँचाई दे सकता है, हमारे तनाव को कम कर सकता है हमारे पुराने दिन याद दिलाकर वो बचपन वाला सुकून मेहशूश करवा सकता है इसलिए महिलाओं को अपनी सहेलियों से मिलते रहना चाहिए, बात करते रहना चाहिए|अपने हर रिश्ते की तरह दोस्त के रिश्ते को भी सहेज कर रखना आना चाहिये | सुमन सिंह ने सभी को दो मिनट आँखें बंद करके आपने पुराने दोस्तों को याद करने के लिए बोला और उनसे उनके भाव जाने कि कैसा लगा उनको याद करके, सभी के चेहरे पर एक ऊर्जा वाली मुस्कान थी, सभी ने बोला कि आज वो अपनी सहेली को याद से जरूर कॉल करेंगी |उन्होंने कृष्ण सुदामा की दोस्ती को याद दिलाते हुए कहा  कि कृष्ण-सुदामा की दोस्ती के बिना सबकुछ अधूरा है। दोस्त वो है, जो बिना कहे अपने दोस्त की हर मुश्किल आसान कर दें। कुछ ऐसा ही भगवान कृष्ण ने किया था। वो अपने गरीब मित्र की मित्रता का भी मान रखा और उनकी गरीबी को भी हर लिया था।     लेकिन कृष्ण सुदामा की दोस्ती को आज के समय में बनाये रखने के लिए हर किसी को एक दूसरे के लिए कृष्ण बनना पड़ेगा, फिर चाहे उसकी खुद की स्तिथि सुदामा जैसी ही क्यों न हो | इस अवसर पर कौशल्या मीणा संग कई महिलाये मित्र रूप में उपस्तिथ थी।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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