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अ.भा. साहित्य परिषद की रिमझिम काव्य गोष्ठी सम्पन्न


 

अ.भा. साहित्य परिषद की रिमझिम काव्य गोष्ठी सम्पन्न

‘नफरत पे भारी एक नजर प्यार की, सौ सुनार की एक लोहार की’’

रक्तवीर हिमांशु यजुर्वेदी का किया सम्मान, ब्रजेश जोशी का मनाया जन्मदिन

मन्दसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मंदसौर इकाई एवं जनपरिषद मंदसौर ने संयुक्त रूप से रिमझिम काव्य गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं जन्मदिवस कार्यक्रम का आयोजन श्री नरेन्द्रसिंह सिपानी की अध्यक्षता, डॉ. घनश्याम बटवाल, डॉ. के.एल. राठौर, डॉ. स्वप्नील ओझा, डॉ. उर्मिलासिंह तोमर, डॉ. निशा महाराणा, राजेश रघुवंशी, मोहनलाल रिछावरा, विकास भण्डारी, वेद मिश्रा, प्रदीप शर्मा, संजय भारती, लाल बहादुर श्रीवास्तव, राजाराम तंवर, अजीजुल्लाह खान, नरेन्द्र त्रिवेदी, पुष्पेन्द्र भावसार, अजय डांगी, नंदकिशोर राठौर, चंदा डांगी, रानी राठौर, दिलीप सेठिया, विनोद मांदलिया, सचिन पारीख, पूरनमल कुकड़ा, नरेन्द्र शर्मा के विशेष आतिथ्य में किया गया। 

कार्यक्रम का आरंभ चन्द्रकलासिंह की सरस्वती वंदना से हुआ। उपस्थित सभी साथियों ने प्रेस क्लब अध्यक्ष ब्रजेश जोशी का पुष्पमालाएं पहनाकर जन्मदिवस की शुभकामनाएं प्रदान की। साथ ही नौ राज्यों में 18 बार रक्तदान करने वाले रक्तवीर हिमांशु यजुर्वेदी का भी सम्मान पुष्प मालाओं से किया गया। डॉ. उर्मिला तौमर ने पौधा भेंटकर वृक्षारोपण एवं डॉ. निशा महाराणा ने पौधे का पूजन कर प्रकृति पूजन का महत्व प्रतिपादित किया तो श्रीमती चंदा डांगी ने हाथ से बनी कपड़े की थैली भेंटकर पर्यावरण को पॉलिथीन से बचाने की अपील की। 

इस अवसर पर डॉ. बटवाल ने कहा कि श्री ब्रजेश जोशी ने पत्रकारिता में नये आयामों को छूआ। अपनी विशेष कार्यप्रणाली से तो हिमांशु यजुर्वेदी ने समाज में रक्तदान की आवश्यकता को महसूस कराते हुए 18 बार रक्तदान कर रक्तवीर पुरस्कार प्राप्त किये। 

श्री जोशी ने कहा कि जीवन में ऐसा कुछ किया जाये जिसमें सबका हित समाहित हो। इसलिये अपने कार्य को जुनून बनाये। विकृतियों से न घबराकर अच्छी प्रवृत्तियों से बढ़ाए। 

श्री सिपानी ने कहा कि नगर की पहचान के आईकॉन है ब्रजेश जोशी और हिमांशु यजुर्वेदी। अजय डांगी ने कहा कि नगर में मेडी पाईंट दवाईयों के साथ जन्मदिवस, सम्मान समारोह, गीत संगीत से तनाव मुक्ति का केन्द्र बनता जा रहा है। 

इस अवसर पर रिमझिम काव्य गोष्ठी का शुभारंभ मनासा के आशु कवि  भेरू सुनार ने मनासा को बालकवि बैरागी की साहित्य धरा बताते हुए कविता ‘‘यहां हवाएं भी कविता में बहती है, चिड़िया भी कविता में चहचहाती है’’ सुनाई। दोहा सम्राट पंकज शर्मा पिपल्या ने ‘‘धनाक्षरी, असुर पनप रहे  भारत भूमि पर करो जरा गौर’ सुनाई। मुकेश निडर पिपल्या ने ‘‘अवताज महल की बात पुरानी हो गई, जनता अयोध्या की दीवानी हो गई’’, बालकृष्ण लोहार ने ‘‘नफरत पे भारी एक नजर प्यार की, सौ सुनार की एक लोहार की’’ सुनाई। सुनील माली ने ‘‘सबका मंगल हो’’ गीत सुनाया। वेद मिश्रा ने ‘‘किसी को हो न सका  उसके कद का अंदाजा वो आसमां है पर’’, निशा महाराणा ने ‘‘जिन्दगी से एक दिन मुलाकात हो गई’’, आरती तिवारी ने ‘‘बनाया ये धर धीरे धीरे, खुले मेरे ख्वाबों मे पर धीरे-धीरे’’, पूजा शर्मा ने ‘‘फूलों से बीछी जमी मिले, महलों सा घर मिले’’, नंदकिशोर राठौर ने ‘‘या है मालवा की माटी, अठे छाछ पीवे खारी’’ मालवी गीत, विजय अग्निहोत्री ने ‘‘दिल की तम्मा है, साथ हम निभायेंगे’’ गीत, नरेन्द्र राणावत ने गीत ‘‘उमड़ घुमड़ आयो रे भादवा’’,चन्दा डांगी ने कर्म फल हम भोगे ईश्वरको क्यो दोषी ठहराए,सुरेन्द्र शर्मा पहलवान ने ‘‘कुदरत का करिश्मा तो देखो’’ जीवन कुमावत ने ‘‘नवयुवकों का’’ गीत सुनाया। कार्यक्रम में स्वाती रिछावरा, राजकुमार अग्रवाल, भरत लखवानी  ने गीत एवं भजन प्रस्तुत कर माहौल सुरमयी कर दिया। कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया व आभार नरेन्द्र त्रिवेदी ने  माना। 

नंदकिशोर राठौर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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