पर्यूषण पर्व के शुभारम्भ में धार्मिक अनुष्ठानों की धूम : दशलक्षण महापर्व के पहले दिन क्रोध कषाय को छोड़कर उत्तम क्षमा को किया अंगीकार
तालबेहट(ललितपुर) सिद्ध क्षेत्र पावागिरि सहित कसबे के दोनों जैन मंदिरों में पर्यूषण महापर्व के शुभारम्भ में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों से धर्म प्रभावना की गयी। सुबह नित्यमय अभिषेक के उपरांत विश्व शांति की मंगल कामना के साथ मंत्रोच्चार के मध्य शांतिधारा, पूजन विधान का आयोजन भव्यता के साथ किया गया। सुबह से ही केसरिया वस्त्र धारण कर अष्टद्रव्य का थाल लेकर पुरूष महिलाएँ एवं बच्चे मंदिर जी पहुंचे एवं भक्ति भाव से पहले दिन क्रोध कषाय को छोड़कर उत्तम क्षमा का भाव धारण कर धर्म की आराधना की। इन दस दिनों जैन समुदाय में निराहार रहकर, पानी-दूध लेकर, फलाहार करके या शुद्ध और सात्विक स्वल्पाहार लेकर व्रत उपवास करने की परम्परा है। कसबे के पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में अमन भैया जी सांगानेर ने कहा कि उत्तम क्षमा मार्दव आर्जव भाव को धारण कर शौच सत्य संयम तप और त्याग के द्वारा आकिंचन और ब्रह्मचर्य को प्राप्त करना ही दशलक्षण धर्म है, जिसकी आराधना पर्यूषण पर्व में की जाती है। वहीं वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर में पं. संतोष कुमार जैन शास्त्री ललितपुर के नेतृत्व में ध्वजारोहण सहित भक्ति भाव के साथ विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किये गये, जिसमें धर्माबलम्बियों ने बढ़कर भाग लिया। सायं काल की बेला में संगीतमय आरती के उपरांत शास्त्र प्रवचन के माध्यम से विद्वानों ने दसलक्षण धर्म के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा जीवन में सरलता, ऋजुता, विनम्रता, शुद्धता, समता और परिणामों में शांति के लिए क्रोद्ध को छोड़कर क्षमा भाव, घमंड छोड़कर मार्दव भाव, मायाचारी छोड़कर आर्जव भाव और लोभ छोड़कर शौच धर्म को धारण करने के बाद सत्य को अंगीकार किया जाता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में मंदिर समिति एवं सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन चौधरी अनिल जैन ने किया। आभार व्यक्त पावागिरि क्षेत्र समिति के उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा ने किया।