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फुरसत ने मनाया शिक्षक दिवस --तुम गुरु ज्ञान का गौरव हो


 फुरसत ने मनाया शिक्षक दिवस --तुम गुरु ज्ञान का गौरव हो

जमशेदपुर । वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की संस्था *फुरसत में *दवारा आनलाइन शिशिक्ष दिवस पर एक काव्य गोष्ठी  तथा परिचर्चा आयोजित कर सभी शिक्षको को समर्पित रचनायें प्रस्तुत की गई। सरस्वती वंदना के बाद सबसे पहली प्रस्तुति के रुप में छाया प्रसाद ने अपने जीवन के प्रथम गुरु को याद करते हुए उनके प्रति अपना स्नेह व सम्मान अर्पित किया।सभी का स्वागत करते हुए रेणु बाला मिश्र

 ने कहा कि  हमारे सभी श्रद्धेय शिक्षकों अध्यापकों,मार्गदर्शकों,अभिभावकों को इस पुनीत दिवस की बहुत-बहुत  बधाई एवं शुभकामनाएं! दी .और सभी सदस्यों का सवागत किया।अगली प्रस्तुति डा मीनाक्षी कर्ण की थी जिनकी रचना ने सबको प्रभावित किया-

 ज्योति से भर जाते,

 अंतर्मन के  कलुषों को

 कर देते निर्मल -पावन,

 कँटीली -पथरीली राहों को...

 सुगम सुबोध बनाते हैं।संस्थाकी.वरिष्ठ सदस्या आरती श्रीवास्तव ने कहा कि हम अपने जीवन में सभी से कुछ न कुछ सीखते हैं.इसलिए सभी को स्नेहिल सम्मान देती हूं।

 डा मनीला कुमारी की रचना थी-

: गुरु चरणों में शीश झुकाए बिन

न होती जिस देश में दिन की शुरुआत।

आज सुनते हैं उस देश में

कैसी निराली है गुरु की बात।

गुरुनके महत्व को रेखांकित करते हुए अनीता निधि ने अपनी रचना पढी--

देते  हैं  वे जीवन ज्ञान हमें 

दिखाते  हैं  सत  राह  हमें 

जिस  पर  चलकर ही मिले

जीवन जीने की कला हमें।इस काव्य शृंखला की अगली कड़ी के रूप में पद्मा मिश्र की कविता ने भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी--

जीवन की डगमग राहों पर. 

तुम हाथ थाम बढ जाते हो ।

तुम गुरु ज्ञान का गौरव हो 

अक्षर  विवेक बन जाते हो।धन्यवाद ज्ञापन 

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ कवयित्री आनंद बाला शर्मा ने कहा-

 श्रेष्ठ गुणों के माध्यम से शिक्षा व्यक्ति व समाज निर्माण, राष्ट्र उत्थान वैश्विक कल्याण का माध्यम बनती है। शिक्षक इन गुणों के प्रकाश में अपनी समीक्षा करते हुए इनमें उत्तरोतर वृद्धि के साथ राष्ट्रनिर्माण के कार्य में अपना सार्थक योगदान दे सकते हैं।  शिक्षक दिवस की सार्थकता

इसीमें निहित है।धन्यवाद ज्ञापन पद्मा मिश्र ने किया.मंच संचालन डा मनीला कुमारी का था।इस आयोजन में सभी सदस्य डा सरित किशोरी. माधुरी मिश्र. सुस्मिता मिश्र.आदि उपस्थित थे।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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