काव्य :
गजल
ताजे गुलाब की खुशबू मदहोश कर गई,
देखा चमन में तितली फूल पर मर गई।
चश्मे ए दीद गुलशन पर एतबार कर,
कली गुलाब की चटकी खुशी मन भर गई।
स्वर्ग से जैसे अप्सरा हमारे बीच उतर गयी,
रूप कि रानी की दिल में तस्वीर उतर गई।
हाल ए दिल नादान है कितना पूछिये मत,
रूह से भारी है मन ये रात भी गुजर गई।
रब जो दुआ कुबूल ना होती तकदीर कैसी,
दिल के शीशे में धीरे से तुम जो संवर गई।
- विनय चौरे , इटारसी
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