शब्दों की कलात्मक अभिव्यक्ति ही रचना है, कविता अंदर से बाहर आने की प्रक्रिया है- डॉ. आसुदाणी
सिंधी कविता एवं ग़ज़ल कार्यशाला सम्पन्न, अकादमी व्दारा सभी प्रशिक्षणार्थीयों को किये गये प्रमाण पत्र प्रदान
इंदौर।। यदि आपके मन में लिखने की उमंग है किंतु आप में एनर्जी नहीं है तो आप लेखन कार्य नहीं कर सकते। कविता में कवितापन का होना जरूरी है। सिंधी काव्य लेखन के जनक किशनचंद बेबस थे। आज की रेडीमेड लेखन सामग्री से बचें स्वयं लिखने की प्रैक्टिस करें। प्रशिक्षणार्थीगण भविष्य में सफल लेखन कर सकें इसके लिए और भी कार्यशालाएं आयोजित की जाना चाहिए। यह बात गुरूवार को सिन्धी साहित्य अकादमी म.प्र. संस्कृति परिषद के तत्वावधान एवं सिंधी साहित्य सागर संस्था इंदौर के सहयोग से प्रेम नगर स्थित लाड़काना सिन्धु पैलेस में आयोजित दो दिवसीय सिंधी कविता-ग़ज़ल लेखन कार्यशाला के समापन अवसर पर नागपुर से पधारे प्रशिक्षक डॉक्टर विनोद आसुदाणी ने कही। वही अकादमी के निदेशक राजेश कुमार वाधवानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि इस कार्यशाला से आप सभी सफल लेखक बन गए हो, इस हेतु आपको अभी और प्रयास करने होगें। आप सभी को सफल बनाने के लिए अकादमी द्वारा शीघ्र ही किसी अन्य स्थान पर कार्यशाला का आयोजन करने के प्रयास करेंगे। इस कार्यशाला में भोपाल के प्रशिक्षक नारी लच्छवाणी ने इंदौर सहित प्रदेश के अन्य शहरों से आये प्रशिक्षणार्थीयो को कार्यशाला के दूसरे व अंतिम दिन चार सत्रों में ग़ज़ल के छंद व नई कविता को विस्तार से समझाया। कविता में बहर-वज़न के बारे में बताते हुए सिन्धी दोहों की जानकारी भी दी। कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को ग़ज़ल, शायरी, सोरठा, कविता, दोहा लेखन एवं गायन की स्टेप समझाते हुए लेखन के तीन पहलूओं को कवर करवाया गया। अंतिम सत्र में दोनों प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षणार्थियों की काव्य संबंधी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।कार्यशाला समाप्ति के बाद शाम 7 बजे से काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें काव्य गोष्ठी के दौरान कवि एवं गीतकारों के साथ प्रशिक्षणार्थीयों ने अपनी स्व रचित रचनाओं की प्रस्तुति दी। कार्यशाला में शामिल सभी प्रतिभागियों को अकादमी की ओर से प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।
सिन्धी कविता एवं ग़ज़ल कार्यशाला का हुआ समापन
सिन्धी साहित्य अकादमी म.प्र. द्वारा सिन्धी साहित्य सागर-इंदौर के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय सिन्धी कविता एवं ग़ज़ल कार्यशाला का समापन बीती शाम हुआ।
बुधवार को इंदौर के लाड़काना सिन्धु पैलेस में शुरू हुई इस कार्यशाला के पहले दिन प्रशिक्षक के रूप में नागपुर से पधारे डॉ. विनोद आसूदानी तथा भोपाल से आए नारी लच्छवानी ने पहले दिन के तीन सत्रों में प्रदेश भर से आए 43 प्रशिक्षणार्थियों को साहित्य की विभिन्न विधाओं के बारे में समझाते हुए कविता और ग़ज़ल की प्रारंभिक जानकारी दी,इसके अलावा अकादमी निदेशक राजेश कुमार वाधवानी ने बताया कि कार्यशाला के समापन अवसर पर सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।