काव्य :
तू ले ले शपथ
तू धैर्य रख,चढ़,निज कर्म रथ
होगा विफल,फिर होगा सफल
तू रह अडिग और रह अटलl
*तू रह निर्मल,निज सत्य रख
ले ले शपथ, तू ले ले शपथ*
बाधाएं मिलें, या विपदाएं हों
प्रतिकूलता को,अनुकूलताएं कर
होता जटिल और कठिन ये पथ
शत्रु होंगे ही पराजित,है ये सच
*तू रह निर्मल,निज सत्य रख
ले ले शपथ, तू ले ले शपथ*
तू निष्ठा और सत्य,ईमान रख
निज कर्तव्य का ,अभिमान रख
अहम और वैमनस्य ,रिपु हैं तेरे
तू सावधान रह,स्वयं को दूर रख,
*तू रह निर्मल ,निज सत्य रख
ले ले शपथ,*ब्रज* तू ले ले शपथ*
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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