प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय हेमंत की जयंती के अवसर पर जन सरोकार मंच द्वारा सात दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला "यादों का काफिला" आयोजित की गई
भोपाल । "प्रेम, संघर्ष, द्वंद और जीवन और प्रतिरोध पर हेमन्त ने बहुत गहन और यादगार कविताएँ लिखीं।"
संतोष श्रीवास्तव
प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय हेमंत की जयंती के अवसर पर जन सरोकार मंच द्वारा 17 मई से 23 मई तक सात दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला "यादों का काफिला" आयोजित की गई।
कार्यक्रम में भारत के विभिन्न शहरों के कवियों ने हेमंत की कविताओं का पाठ एवं चर्चा विमर्श किया। विमर्श में हेमंत के कविता संग्रह "मेरे रहते" से 21 कविताओं का 21 कवियों द्वारा पाठ तथा विमर्श हुआ। कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति वंदना रानी दयाल अर्चना पांडे और रुखसार खान ने की।
कार्यक्रम में मध्य प्रदेश लेखक संघ भोपाल के अध्यक्ष राजेंद्र गट्टानी, इंडिया नेटबुक्स एवं अनुस्वार के संपादक डॉ. संजीव कुमार, हेमंत फाउंडेशन की सचिव डॉ. प्रमिला वर्मा , अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव, देवेंद्र जोशी के सानिध्य में परसाई मंच की अध्यक्ष अलका सिगतिया, साधना वैद, रानी सुमिता, सुरेखा जैन ,मुजफ्फर सिद्दीकी ,विनीता राहुरीकर सुषमा व्यास राजनिधि ने अपने श्रेष्ठ संचालन से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
कार्यक्रम में मधु सक्सेना, डॉ. स्वाति तिवारी, डॉ. नीलिमा रंजन, सरस दरबारी, महिमा श्रीवास्तव वर्मा, गीता द्विवेदी जया आनंद, आभा दवे, मृदुला मिश्रा, शकुंतला मित्तल, डॉ. रानी श्रीवास्तव, सत्यवती मौर्य, शेफालिका श्रीवास्तव, अनीता रश्मि, मधुलिका सक्सेना, जया केतकी ने हेमंत की कविताओं का पाठ और चर्चा की।
ऐसा कुछ भी नहीं होगा मेरे बाद/ जो नहीं हुआ मेरे रहते/ हां, तब यह अजूबा जरूर होगा/ मेरी फोटो पर होगी चंदन की माला/ और सामने अगरबत्ती/ जो नहीं जली मेरे रहते ।
कविता श्रोताओं के मन को छू गई।
यह कार्यक्रम प्रतिदिन यूट्यूब पर प्रसारित हुआ तथा श्रोताओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय हुआ। कार्यक्रम में देश-विदेश के अनेक साहित्यकार जुड़े।