नहीं रहे गजलों के बादशाह साजिद सिरोंजवी
इटारसी । जिस सिरोंज में पैदा हुए वही सुपुर्द खाक हुये। इटारसी की सर जमी को जिन्होंने कर्मभूमि बनाया। ऐसे गजलों के बादशाह उर्दू शिक्षक अब हमारे बीच नहीं रहे। पिछले कुछ दिनों से वे अस्वस्थ चल रहे थे ।24 जनवरी को मेरी उनसे मुलाकात ब्राइट टेलर की दुकान पर हुई थी।उन्होंने बताया था कि एक कमरा इटारसी में उन्होंने ले रखा है। भोपाल और इटारसी आना जाना करते हैं। लेकिन ईश्वर को कुछ और मंजूर था। सन 2016 में आंगन गजलों का पुस्तक का प्रकाशन श्रीमती शांति देवी महादेव पगारे स्मृति समिति ने किया था। सो पृष्ठ की पुस्तक में उन्होंने श्रेष्ठ गजलें लिखी थी स्वर्गीय श्री साजिद सिरोजवी उर्दू मी एम ए, हाफिज, कुरान, फारसी एवं हिंदी के अच्छे जानकार थे। उन्होंने फ़लाह स्कूल एवं शासकीय मेहरा गांव स्कूल में उर्दू शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी। उन्होंने देश के कई मुशायरों एवं कवि सम्मेलन में शिरकत की उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी पुस्तक आंगन गजलों का की भूमिका में स्वयं लिखा था माना के मौत आएगी मर जाऊंगा लेकिन लोगों के दरम्यां न गजल छोड़ जाऊंगा एक श्रेष्ठ गजल गायक और नेक इंसान हमारे बीच में नहीं रहे ईश्वर उनकी मृत आत्मा को शांति प्रदान करे।
प्रमोद पगारे अध्यक्ष श्रीमती शांति देवी महादेव पगारे समिति
.jpg)
