लघुकथा :
लेटेस्ट फोटो
"बाबूजी ! आप अपनी अच्छी सी नवीनतम फोटो स्टूडियो में खिंचवाएं !"
"यह मोबाइल की फोटो भी,,,
कोई पीछे खड़ा है। भीड़ भरी है। दूर के चित्र में कुछ स्पष्ट भी नहीं दिखता।
चेहरे के भाव नहीं उभरते ।" एक साहित्य प्रेमी ने बुजुर्ग साहित्यकार से आग्रह किया।
"ठीक कह रहे हो बेटा ! लेकिन तुम जानते हो ,,मोबाइल की खींची हुई फोटो के अलग ही लाभ हैं,,बदली भी जा सकती हैं और ,,,"
"उनमें कोई खर्च भी नहीं लगता !यही न?"उत्तर आया।
"अब स्टूडियो जाऊं, उसके लिए तैयार होओ,,, न तो इतना अच्छा तन रहा ,,शायद न तो ऐसे कपड़े ही बचे,,,और फिर आज खिंचाओ तो कल देगा। कम से कम सौ रुपए लगेंगे वह अलग। ढेर सारी कॉपी दे देगा। संभालो ,,कोई मांगे तो ठीक है लेकिन कौन ",
कई तर्क थे बुजुर्गवार के पास।
चेले ने फिर कोशिश की,,"आप अगर एक फोटो खिंचवा लेंगे तो ये काफी अच्छी आएगी ,नई हो जाएगी।"
"बुरा न मानें तो कई और जगह भी काम आ सकती है!,,"
"यानी ? मसलन कहां?"
"कुछ नहीं ! आप नहीं समझे तो बेहतर और समझ गए,,, तो फिर कहने की जरूरत नहीं।"
दोनों चुप हो गए।
- आर एस माथुर,इंदौर