साहित्यकार और कलाकारों में ईश्वरीय प्रदत्त गुण होता है , कष्टों से उबरने पर अधिक रचनात्मक हो उठते हैं - साहित्य अकादमी अध्यक्ष डाॅ विकास दवे
कविताएँ अकादमिक स्तर की है जिनमें मानवीय दर्द है - डाॅ शिव चौरसिया ।
"मन का मोती " गीत व कविता संग्रह का हुआ लोकार्पण
वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर
उज्जैन । गत दिवस प्रेस क्लब सभागार में कवियत्री - गीतकार सीमा देवेन्द्र की तीसरी बहुप्रतीक्षित पुस्तक " मन का मोती " का लोकार्पण शहर के ख्यात प्रबुद्ध जनों के बीच हुआ । डाॅ देवेन्द्र जोशी की कमी सभागार का हर व्यक्ति महसूस कर रहा था ।
इसी बीच भोपाल से मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी अध्यक्ष डाॅ विकास दवे ने अपनी आत्मीय उपस्थिति दर्ज कराते हुए वाॅइस मेसेज से संबोधित किया । उन्होने कहा कि सामान्यतः साहित्यकार और कलाकार ईश्वर प्रदत्त कष्टों को प्राप्त करते हैं तो वे और अधिक रचनात्मक हो उठते हैं । उसका अच्छा उदाहरण अपने मन के मनोभावों को उकेरती सीमा-देवेन्द्र की यह मालवी कृति " मन का मोती " आज हमारे हाथ हैं और ऐसे ही उनके साहित्य के कई मोती हम सब के हाथ लगते रहे ।
डॉ विकास दवे ने प्रतिभा के धनी डॉ देवेंद्र जोशी को भी स्मरण किया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं साहित्यकार डाॅ मोहन गुप्त ने कहा कि भाषा है तो हम है । कपड़ों के बाद व्यक्ति का परिचय उसकी भाषा से ही होता है । यही आकर्षण डॉ देवेन्द्र जोशी में था और अब वैसी ही अभिव्यक्ति उनकी सहधर्मिणी सीमा जोशी में दिखाई देती है । डाॅ गुप्त आगे कहते हैं कि जब कोई स्त्री संस्कारित होती है तो कई पीढ़ियाँ संस्कारित होती है । उन्होने कहा मालवी बोलते समय हर आदमी मुस्कुराता नज़र आता है । निश्चित ही सीमा देवेन्द्र की यह कल्पना एक मालवी मन की ही हो सकती है ।
सारस्वत अतिथि रूप में अपने उदबोधन में विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ बालकृष्ण शर्मा ने कहा काव्य की सृष्टि या रचना में मन का होना बहुत जरूरी है। मन की व्यापकता और सूक्ष्मता पर ही सब कुछ निर्भर है। सीमा देवेंद्र ने अपनी रचनाओं में मन को केंद्रित किया है। उसका श्रेष्ठ स्वरूप इस कविता संग्रह में सामने आया है ।
वरिष्ठ मालवी साहित्यकार डाॅ शिव चौरसिया ने कहा मालवी कविता की परंपरा बहुत पुरानी है। उसी परम्परा का निर्वहन सीमा जी कर रही हैं। अच्छी बात यह है कि आपकी कविता अकादमिक स्तर की कविताएं हैं।आपकी कविताओं में मनुष्य का दर्द है इंसानियत है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा मालवी की लिखित परंपरा में महिलाओं ने कम कार्य किया है। आज सीमा देवेंद्र ने मालवी में अपने योगदान के साथ महिलाओं की लिखित परंपरा में अग्रणी महिलाओं के साथ खड़ी दिखाई दे रहीं हैं। विविध रंगी कविताओं का समावेश है और इनमें स्त्री मन है। ऋतुओं के रंग है तो प्रकृति भी साथ चलती है। लोक कवयित्री के रूप में इस संकलन में मालवी के अतीत के गौरव को सहेजा है। रचनाकार ने अपने समय के प्रवाह को पकड़ा है। प्रख्यात लेखक पत्रकार समीक्षक श्री विनोद नागर ने कहा आंचलिक बोलिया भाषा की सहोदरी होती हैं। हम मालवा के लोग ही यदि मालवी बोली नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा क्योंकि आज मालवी भाषा और बोली को सहेजने की जरूरत है । चित्रकार डाॅ श्रीकृष्ण जोशी ने मीठी मालवी में बोलते हुए कहा कि सीमा देवेंद्र का मालवी के प्रति अनुराग देखते हुए मैंने इस संग्रह के कव्हर पृष्ठ रेखांकन चित्रित किया है
मध्य प्रदेश लेखक संघ के अध्यक्ष डाॅ हरिमोहन बुधौलिया मालवी के प्रति अनुराग रखने वाले सब यहाँ उपस्थित हैं। सभी रचनाकारों को बधाई और स्व. डाॅ देवेन्द्र जोशी की सूक्ष्म उपस्थिति को बताया । कवि अशोक भाटी ने मन के मोती संग्रह की कविता में मोती ही मोती और हीरे बताये क्योंकि मालवी में साहित्य सृजन कठिन होकर लुप्त होता जा रहा इसमें ये पुस्तक भगीरथी प्रयास है । श्रीराम दवे ने सीमा जोशी के कविता संग्रह मालवी मन को ओलखाण काॅलम से जोड़ते हुए इस पुस्तक को अतुल्य बताया । डाॅ पिलकेन्द्र अरोरा ने मालवी कृति को सीमा जोशी का मालवी के प्रति अतुलनीय योगदान बताया ।
कार्यक्रम संयोजक श्रीमती सीमा देवेन्द्र जोशी ने अपने वक्तव्य में कहा कि ये पुस्तक डाॅ देवेन्द्र जोशी को समर्पित है । ये पुस्तक उनका सपना था ।
फिर " कत्रो अनमोल म्हारो मालवो हो राज " मालवी गीत सुनाकर तालियों से श्रोताओं की दाद बटोरी ।
मध्य प्रदेश लेखक संघ के सचिव डाॅ हरीश कुमार सिंह ने स्वागत भाषण दिया । कार्यक्रम में संदीप सृजन रवि नगाइच डाॅ माहेश्वरी इन्दौर , पूजा कृष्णा भोपाल , श्रीमती नागर राजेश राज प्रफुल्ल शुक्ला शिरोमणि आदि नवल सुनीता व्यास छत्तीसगढ , छाया ज्योति बोहरा सुनीता राठौर अभिलाष शर्मा श्वेता पण्डया अपूर्व जोशी अमित अग्रवाल आदि की गरिमामयी उपस्थिती रही ।
कार्यक्रम का शुभारंभ डाॅ राजेश रावल की सरस्वती वंदना से हुआ और आभार डाॅ उर्मि शर्मा ने माना। संचालन डाॅ पांखुरी जोशी किया ।
इस अवसर पर साहित्यकार , लेखक , कवि , पत्रकार एवं गणमान्य जन उपस्थित थे ।