काव्य :
सरस्वती पूजन दिवस बसंत पंचमी
।।विधा।।मुक्तक।।
*(1)*
शरद ऋतु अब जाने लगी
हरियाली सी छाने लगी है।
लगता ऋतु राज़ बसंत की
रुत अब कहींआने लगी है।।
माँ सरस्वती का आशीर्वाद
अब पाना है हम सबको।
मन पतंग भी अब खुशियों
के हिलोरे खाने लगी है।।
*(2)*
पत्ता - पत्ता बूटा - बूटाअब
खिला -खिला सा तकता है।
धवल रश्मि किरणों सा
सूरज जैसे अब जगता है।।
मौसम चक्र में मन भावन
परिवर्तन अब आया जैसे।
ऋतुराज बसन्त काअवसर
अब आया सा लगता है।।
- एस के कपूर "श्री हंस", बरेली
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