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लघुकथा : जन्मदिन - प्रो अंजना गर्ग , म द वि रोहतक



लघुकथा

जन्मदिन    

"अनु ,  भाई आ गया क्या?"  मोहिनी ने अपनी बेटी अनु से पूछा। 

 "हां, आ गया मम्मी, पर नीचे से ही भाभी को लेकर चला गया। कह रहा था, मम्मी को बोल देना ,थोड़ी देर में आते हैं।" अनु ने मोहनी को बताया। "देख  अन्नू तेरी भाभी दीपाली के काम। रात को आठ बजे मनीष थका हारा आया, ऊपर भी नहीं चढ़ने दिया। नीचे से ही लड़के को लेकर निकल ली।इसका जन्मदिन है तो क्या लड़के को यूं परेशान करेगी।" मोहिनी गुस्से में बोल रही थी।

" मां, भाई ने ही कई फोन भाभी को किए थे कि तैयार रहना , मैं ऊपर नहीं  आऊँगा, तुम नीचे आ जाना।" अनु ने कहा। 

"पर वह मना तो कर सकती थी।" मोहिनी बड़बड़ाई। 

"मां, मनीष को लगा , भाभी का पहला जन्मदिन है। उसे कुछ जरूर करना चाहिए। नहीं तो कहीं यह भी मम्मी की तरह नाराज ना हो जाए।" अन्नू  ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा। "मैं तो कभी कुछ नहीं कहती। तुम लोग और तुम्हारे पापा अपने आप ही सब कुछ करते हो।" मोहिनी ने थोड़ी नरमी सी में कहा।

" पर माँ,भाई को आपका वह जन्मदिन भी याद था। जब शाम को आप पापा पर बिफर गई थी। सब सामान बिखेर दिया था कि यहां तो किसी को किसी का इतना खास दिन भी याद नहीं रहता ।"अन्नू ने हिम्मत करके कहा। 

"वह तो तेरे पापा हर बार पहली रात को 12:00 बजे केक, फूल लाते थे। वह नहीं लाए उस बार। सुबह भी तुम लोगों ने विश नहीं किया। तो मुझे गुस्सा आ गया। मुझे क्या पता था कि तुम लोग उस बार मुझे बड़ा सरप्राइज देना चाहते थे।" मोहिनी ने अपनी सफाई दी।

" मां , मनीष वाइफ को वैसे ही तो हैंडल करेगा। जैसा उसने देखा है। उसने तो बचपन से देखा है की पहली रात को 12:00 बजे शुरू करके अगले 24 घंटे तक सब कुछ छोड़-छाड़ कर पत्नी का जन्मदिन मनाओ। कितना जरूरी हो उस दिन कहीं गलती से भी बाहर का प्रोग्राम मत बनाओ। भाई तो फिर भी दफ्तर भी गया।"अनु ने ज्यादा ही साफ शब्दों में सब बोल दिया। 

इतने में मनीष और दीपाली हाथों में कई खाने के पैकेट लेकर आ गए। दीपाली सब फटाफट टेबल पर लगाने लगी।

 मनीष , मोहिनी से बोला," मम्मी, मैंने तो इसे कहा था किसी होटल में खाना खिला देता हूं। मेरी मम्मी तो अपने जन्मदिन पर पक्का शाम का डिनर बाहर ही करती थी पापा के साथ । पर दीपाली कहने लगी, सब पैक करवाओ मैंने घर में भी कई चीजें बना रखी है आप लोगों के लिए। सब घर में बैठकर मिलकर खाएंगे। मैंने तो कहा था फिर मुंह मत बना लेना की मेरे जन्मदिन पर आप ने कुछ नहीं किया।" मनीष अपनी ही रौ में बोले जा रहा था। मोहिनी को आज एहसास हुआ कि वह सारी उमर जन्मदिन के नाम पर अपने पति और बच्चों को खुशी की जगह टेंशन ही देती रही ।

  -  प्रो अंजना गर्ग , म द वि रोहतक

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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