दुष्यन्त के पत्रों का वाचन और सार्थक वार्ता सम्पन्न
भोपाल । दुष्यंत स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में दुष्यंत की पुण्यतिथि वर्ष के 2025 के दौरान उनकी स्मृति में प्रत्येक माह कार्यक्रम आयोजित किया का रहे हैं। इसी तारतम्य में दुष्यंत द्वारा विभिन्न विभूतियों को लिखे पत्रों का वाचन नगर के साहित्यकारों द्वारा किया गया।
राजेश जोशी ने इस अवसर पर कहा कि लेखक के पत्र बहुआयामी होते हैं। जिनमें साहित्यिक और गैर-साहित्यिक विवाद की पृष्ठभूमि को समझा जा सकता है। उनके पत्रों में साफ़गोई है।
दुष्यंत पत्र लिखने के शौकीन थे। उन्होंने पत्नी को रोमांटिक पत्र भी लिखे थे।
रेखा कस्तवार ने कहा कि दुष्यंत के पत्र उनकी रचनाओं से आगे की बात कहते हैं। पत्रों में व्यक्त तीव्रता सिद्ध करती है कि दुष्यंत का नाटक “एक कंठ विषपायी” ध्वनित होती है।
शुरुआत में सुरेश पटवा ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि लेखकों के पत्रों को इनके लिखे जाने के समय विद्यमान परिस्थितियों के मद्देनजर देखा जाना चाहिए। दुष्यंत ने कहा कि 1931 में पैदाइश के बाद ग़ुलामी के 36 साल और 1975 में मृत्यु तक आज़ादी के 28 साल देखे थे। उन्होंने स्वप्नों को बनते और भंग होते देखा था। उस समय की बेचैनी, व्यग्रता और बेचारगी उन्होंने देखी थी। वही उनके पत्रों में व्यक्त हुआ है।
सुरेश पटवा ने धर्म युग के संपादक धर्मवीर भारती को पुस्तक प्रकाशन में धांधलियों पर पत्र, सुधा दुबे ने लखनऊ रेडियो निदेशक के नाम पत्र और बच्चन को पत्र रेडियो में नौकरी के लिए, बिहारी लाल सोनी अनुज ने राजेंद्र यादव के नाम, धनश्याम मैथिल ने विट्ठलभाई पटेल के नाम पत्र, अनूप धामने ने धनंजय वर्मा को पत्र, राजेन्द्र गट्टानी ने लहर के संपादक प्रकाश जैन के नाम पत्र, मनीष बादल ने अमिताभ बच्चन के नाम, गोकुल सोनी ने टाइम्स आफ इंडिया के मैनेजर के नाम पत्र, शारदा दयाल श्रीवास्तव, ने दुष्यंत का पिता भगवत सहाय के नाम पत्र, शेफालिका श्रीवास्तव ने राजेश्वरी त्यागी को पत्र, सुनीता शर्मा ने कमलेश्वर को पत्र, करुणा राजुरकर ने भोपाल म्युनिसिपालिटी के नाम ₹500 के संदर्भ में दुष्यंत का मजेदार पत्र और रामराव वामनकर ने धनंजय वर्मा को लिखा बेबाक पत्र पढ़े। कार्यक्रम का संचालन विशाखा राजुरकर ने किया। अतिथियों का आभार प्रदर्शन वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने किया।
करुणा राजुरकर
दुष्यंत स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय भोपाल
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